Onam Festival: ग्वालियर, (नईदुनिया प्रतिनिधि) ओणम का त्योहार दक्षिण भारत विशेषकर केरल में उत्तर भारत में मनाई जाने वाली दीपावली का त्योहार माना जाता है। ऐसी धारणा है कि महा पराक्रमी व दानवीर राजा महाबली अपनी प्रजा का हाल-चाल जाने के लिए वर्ष में एक दिन पातल लोक से पृथ्वी लोक पर आते हैं। उनके ही स्वागत के लिये घरों में दस दिन तक रंगोली सजाई जाती हैं। परंपरागत पकवान बनाकर राजा महाबलि की अगवानी की जाती है। यह मलयालम कैलेंडर का पहला महीना होता है, जो थिरुवोनम नक्षत्र को हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रवना कहते है। इस बार सन 2023 में ओणम 20 अगस्त से शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगा। ओणम में थिरुवोनम दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है, जो मंगलवार को है।
ओणम पर केरलवासी अपने घरों को सुंदर ढंग से सजाते हैं। और दरवाजे पर रंगोली बनाते हैं। परंपरागत पकवान मनाते हैं। यह त्योहार दस दिन तक मनाया जाता है। किंतु थिरुवोनम का विशेष महत्व होता है। पिछले दस दिन से ओणम मनाया जा रहा है।
भिंड रोड पर स्थित बालाजी मंदिर के रामाचार्य ने ओणम के संबंध में बताया कि मूल रूप से इस त्यौहार से भगवान विष्णु व प्रतापी राजा महाबली से जुड़ी है। लोगों का मानना है कि ओणम त्योहार के दौरान राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने, उनके हाल चाल, खुशहाली जानने के लिए हर साल केरल राज्य में आते हैं। महाबली हरि के परमभक्त थे। और दानी भी थे। मन में अहंकार आ जाने के करण विष्णु, महाबली को सबक सिखाने के लिए, सभी देवी देवताओं की मदद के लिए माता अदिति के बेटे के रूप में ‘वामन’ बन कर जन्म लेते है। ये विष्णु का पांचवां अवतार है। राजा महाबली यज्ञ के बाद संकल्प लेते हैं, आज उनसे कोई भी व्यक्ति जो मांगेगा उसे दिया जायेगा। इस बात को सुन वामन इस यज्ञ शाला में आते है। महाबली उनसे पूछते क्या चाहिये। वामन मुस्कराते हुए कहते है, मुझे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, बस मुझे तो तीन पग जमीन दे दो। महाबली एक अच्छे राजा थे, वे अपने वचनों के पक्के थे, उन्होंने वामन को हां कर दी। महाबली वामन को अपनी इच्छा अनुसार भूमि लेने के लिए बोलते है। ये बात सुन वामन अपने विशाल रूप में आ जाते है। उनके पहले कदम में सारी धरती समां जाती है, उनके दुसरे कदम में स्वर्गलोक आ जाता है। अब उनके तीसरे कदम के लिए राजा के पास कुछ नहीं होता है तो अपने वचन को पूरा करने के लिए, राजा अपना सर वामन के पैर के नीचे रख देते है। ऐसा करते ही, राजा धरती में पाताल लोक में समां जाते है। पाताललोक में जाने से पहले महाबली से एक इच्छा पूछी जाती है। महाबली विष्णु से मांगते हैं। वर्ष में एक दिन धरती में आने की अनुमति दी जाए, ताकि वे यहां आकर अपनी प्रजा से मिलकर, उनके सुख दुःख को जान सकें। और माना जाता है कि महाबली अपनी प्रजा का हाल-चाल श्रावण मास में आते हैं। और अपने राजा के स्वागत में यह त्योहार मनाया जाता है।