Online FIR News: अमित मिश्रा, ग्वालियर। ई-एफआइआर..यानि इंटरनेट के जरिये घर बैठे एफआइआर की सुविधा। करीब तीन साल पहले जोर-शोर के साथ पूरे प्रदेश में इसकी शुरुआत हुई। उद्देश्य था- थानों में छोटी-छोटी एफआइआर लिखने में पुलिसकर्मियों का समय बचाना, आम जनता को भी सहूलियत देना, लेकिन 3 साल में सिर्फ 488 ई-एफआइआर ही ग्वालियर में दर्ज हुई हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह है- लोगों को इस सुविधा के बारे में जानकारी नहीं है। इसका प्रचार-प्रसार भी पुलिस ने नहीं किया, क्योंकि पुलिस महकमे के जानकार कहते हैं- प्रचार-प्रसार न करने के पीछे भी वजह खुद पुलिस ही है। पुलिस ही इसे बढ़ावा नहीं देना चाहती।
जानकार कहते हैं- अगर इ-एफआइआर का प्रचार-प्रसार हो और लोगों को इ-एफआइआर करने के प्रति जागरुक किया जाए तो थानों में जिन छोटे मामलों की एफआइआर में पुलिस का समय खराब होता है, उस समय का उपयोग बड़े अपराधों की पड़ताल से लेकर क्षेत्र में बेहतर पुलिसिंग के लिए किया जा सकेगा। जब सामान्य मामलों की एफआइआर थानों में जाए बिना ही होने लगेगी तो थानों में तैनात स्टाफ मानता है- उनकी पूछ कम होगी।
हर साल ग्वालियर में औसतन 12 हजार एफआइआर होती हैं। इस हिसाब से एक प्रतिशत से भी कम मामलों में लोग इ-एफआइआर दर्ज करवा रहे हैं।
1. अगर चोरी की वारदात हुई है, जिसमें चोरी गए सामान की कीमत 1 लाख रुपये से कम है तो इसकी एफआइआर आनलाइन करवाई जा सकती है। 2. अगर वाहन चोरी हुआ है और चोरी गए वाहन की कीमत 15 लाख रुपये से कम है तो इ-एफआइआर हो सकती है,
थाने जाने की जरूरत ही नहीं है। अगर वाहन की कीमत 15 लाख रुपये से अधिक है तो ई-एफआइआर नहीं करवाई
जा सकती। 3. ऐसा अपराध, जिसमें फरियादी को चोट न आई हो, उसपर बल प्रयोग न हुआ हो और आरोपित अज्ञात हो तो एफआइआर कराई जा सकती है। अगर बल प्रयोग नहीं हुआ है सामान्य धमकाने जैसा मामला है, आरोपित ज्ञात है तो ई-एफआइआर
नहीं होगी।
घरों में चोरी और वाहन चोरी की वारदात सबसे ज्यादा होती हैं। हर रोज औसतन तीन वारदात होती हैं। इन्हीं की एफआइआर सबसे ज्यादा होती है। हर साल औसतन 1200 वाहन चोरी होते हैं। अगर इनकी एफआइआर आनलाइन हो तो पुलिस का समय बचेगा और लोगों को भी सहूलियत होगी। अभी फरियादी को भी थानों के चक्कर काटने पड़ते हैं।
गूगल प्ले स्टोर से एमपीइकाप डाउनलोड करवाई जा सकती है। इसे डाउनलोड कर इसमें अपना नाम, फोन नंबर के जरिये रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है, इसके माध्यम से ही ई-एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है। सिटीजन पोर्टल: एमपी पुलिस के सिटीजन पोर्टल के जरिये भी ई-एफआइआर करवाई जा सकती है। सिटीजन डाट एमपीपुलिस डाट जीओवी डाट इन के माध्यम से इ-एफआइआर हो सकती है।
ई-एफआइआर को बढ़ावा देने के लिए प्रचार-प्रसार कराया जाएगा। पिछले साल की तुलना में इस साल अधिक ई-एफआरआर दर्ज हुई।
-निरंजन शर्मा, एएसपी (नोडल आफिसर ई-एफआइआर)