ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। पंचांग के अनुसार सोमवार से पौष मास शुरू होने जा रहा है, जो 17 जनवरी तक रहेगा। धार्मिक दृष्टि से इस मास को महत्वपूर्ण माना गया है, इसे पूस का महीना भी कहा जाता है। ज्याेतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि पौष के महीने में ही मकर संक्रांति का पर्व आता है, जो 14 जनवरी को मनाया जाएगा। सूर्य देव जब मकर राशि में आते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।
मकर संक्रांति को सभी संक्रांति में महत्वपूर्ण माना गया है। मकर संक्रांति से सर्दियों में कमी आने लगती है और शरद ऋतु के जाने का समय शुरू हो जाता है। पौष के महीने में सूर्य देव की पूजा की जाती है। जिस कारण पौष के महीने का धार्मिक महत्व और अधिक बढ़ जाता है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में सूर्य अशुभ या कमजोर हैं, उन्हें पौष मास में सूर्य भगवान की विशेष पूजा करनी चाहिए। सूर्य कमजोर होने से लोकप्रियता में कमी आने लगती है, उच्च अधिकारियों से संबंध ठीक नहीं रहते हैं। आंख से जुड़ी परेशानी हो सकती है। पिता से भी संबंध कमजोर होने लगते हैं। इतना ही नहीं जिन लोगों को प्रमोशन या उच्च पद मिलने में दिक्कत आती है, उसके पीछे भी कहीं न कहीं सूर्य का कमजोर होना होता है। ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी ने बताया कि पौष के महीने में सूर्य को जल देने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। नियमित सूर्य देव को जल देने से कमजोर सूर्य बलवान होने लगता है। जल में यदि लाल चंदन मिलाकर अर्घ्य दिया जाए, तो इसके फल भी अच्छे मिलते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. गौरव उपाध्याय ने बताया कि सूर्य देव को अर्घ्य देते समय ओम आदित्याय नम: का जाप करना चाहिए। इसके साथ ही अर्घ्य देते समय जल की धारा से सूर्य को देखना चाहिए।