नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। थाना गिरवाई क्षेत्र में हुई अंधाधुंध फायरिंग और मारपीट की घटना में पुलिस द्वारा मामूली धाराओं में मामला दर्ज किए जाने पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि घटना से संबंधित वीडियो फुटेज को जब्त कर निष्पक्ष विवेचना की जाए और फायरिंग करने वाले आरोपितों के खिलाफ उचित धाराओं में कार्रवाई की जाए। मामला गिरवाई निवासी 67 वर्षीय रामकली कुशवाहा का है, जिन्होंने अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया के माध्यम से न्यायालय में याचिका दायर की।
याचिका में बताया गया कि वे झाड़ू-पोंछा कर परिवार का भरण-पोषण करती हैं। मोहल्ले के ही कुछ लोग कल्लू कुशवाहा, नीलेश कुशवाहा, विक्की कुशवाहा, बबलू कुशवाहा, शिवम और रंधावा आपराधिक प्रवृत्ति के हैं और क्षेत्र में पानी माफिया के रूप में सक्रिय हैं। इन लोगों ने सरकारी बोरिंग पर कब्जा कर कॉलोनी वासियों से पैसे लेकर पानी देना शुरू कर दिया। रामकली ने और उनके परिवार ने जब इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से की, तो आरोपितों ने 10 अगस्त को दोपहर लगभग 2:30 बजे लाठी, डंडे, सरिए और कट्टों से लैस होकर घर पर हमला कर दिया।
आरोप है कि उन्होंने जान से मारने की नीयत से कई राउंड फायरिंग भी की। घटना का वीडियो उनकी नाती अभिषेक ने मोबाइल में रिकॉर्ड किया, जिसमें आरोपित खुलेआम फायरिंग करते और मारपीट करते दिखाई दे रहे हैं। एडवोकेट अवधेश भदौरिया ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि फरियादी द्वारा टीआई को यह वीडियो दिखाया गया था, फिर भी पुलिस ने केवल सामान्य धाराओं में ही एफआईआर दर्ज की, जबकि हत्या के प्रयास सहित अन्य गंभीर धाराएं जोड़ी जानी चाहिए थीं।
उन्होंने आरोप लगाया कि थाना गिरवाई के टीआई सुरेंद्रनाथ यादव, प्रधान आरक्षक देवीदास और विवेचना अधिकारी ने जानबूझकर आरोपियों को बचाने के लिए गंभीर धाराएं लगाने से परहेज किया। न्यायालय ने विवेचना अधिकारी को निर्देश दिया है कि वीडियो फुटेज को सबूत के रूप में जब्त किया जाए और उसमें दिख रहे फायरिंग के दृश्यों के आधार पर धाराओं का इजाफा किया जाए। हालांकि अदालत ने फिलहाल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ किसी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश नहीं दिए हैं। फरियादी पक्ष के अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने बताया कि वे इस संबंध में हाईकोर्ट में अपील करेंगे ताकि दोषी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।