नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ परिसर में डा. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा स्थापना की मांग को लेकर मध्य प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस का आरोप है कि प्रदेश सरकार प्रतिमा की स्थापना नहीं करा रही है, इससे भाजपा का दलित विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। इस मामले को लेकर कांग्रेस ने 25 जून को ग्वालियर के फूलबाग स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष उपवास करने की घोषणा की है। इधर, मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कांग्रेस पर पलटवार कर कहा है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर सिर्फ राजनीति कर रही है। उसका बाबा साहब से कोई लेना नहीं है।
बता दें कि ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा की स्थापना कराने की मांग पर वकीलों के दो पक्षों में इस साल फरवरी माह से विवाद चल रहा है। एक पक्ष प्रतिमा स्थापना की मांग उठा रहा है, दूसरा इसके पक्ष में नहीं है। वहीं, प्रतिमा की स्थापना कराने की मांग को लेकर भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के केंद्रीय नेता उत्तर प्रदेश और दिल्ली से आकर धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं। आगे भी इन संगठनों से ग्वालियर में बड़े विरोध प्रदर्शनों की घोषणा की है।
वहीं, मध्य प्रदेश सरकार की ओर से इस मामले में कोई कदम न उठाने को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस भी प्रतिमा स्थापना के समर्थन में उतर आई। उसने पहले तो इन संगठनों के पक्ष में बयान जारी किए। बाद में स्पष्ट किया कि वह चाहती है कि डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा की स्थापना हो लेकिन वह अतिवादी संगठनों से दूरी बनाकर चलेगी, क्योंकि यह संगठन राजनीतिक एजेंडे पर काम कर रहे हैं।
बता दें कि ग्वालियर-चंबल अंचल की राजनीति का मूल आधार ही जाति आधारित है। एट्रोसिटी एक्ट के विरोध के स्वर अंचल से उठे थे और जातिय संघर्ष भी हुआ था, तभी से अतिवादी संगठनों को यहां की राजनीति की तासीर अनुकूल लग रही है। दूसरी तरफ बसपा के कमजोर से पड़ने से कांग्रेस की उम्मीद जागी है कि कोई विकल्प नही होने पर उसका परंपरागत वोट उसकी तरफ पलट सकता है। भाजपा भी सामाजिक समरसता का पाठ इस वर्ग को पढ़ाने का प्रयास कर रही है। सभी संगठन अपने-अपने राजनीतिक एजेंडे के अनुसार बाबा साहेब की प्रतिमा विवाद को तूल देने का प्रयास कर रहे हैं।