
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर लगाम कसने के लिए शिक्षा विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। निदेशक लोक शिक्षा (डीपीआई) द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि सभी प्राइवेट स्कूलों को अपनी आगामी शिक्षण सत्र 2026-27 की फीस संरचना पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। विभाग ने पोर्टल को सक्रिय कर दिया है, जहां स्कूल संचालक मार्च 2026 तक अपनी निर्धारित फीस दर्ज कर सकेंगे।
जिले में लंबे समय से अभिभावक निजी स्कूलों की अनियमित शुल्क वसूली और अस्पष्ट फीस संरचना को लेकर शिकायतें कर रहे थे। कई अभिभावकों का कहना है कि स्कूल मनमाने तरीके से हर वर्ष फीस बढ़ाते हैं और उसका स्पष्ट विवरण भी नहीं देते। इन शिकायतों को ध्यान में रखते हुए डीपीआई ने पूरे प्रदेश के लिए एकीकृत निर्णय लिया है, जिसका सीधा असर ग्वालियर के सभी निजी स्कूलों पर भी पड़ेगा।
इस फैसले से ग्वालियर के हजारों अभिभावकों को राहत मिलने की उम्मीद है। शहर के माधव नगर, जीवाजी नगर, सिटी सेंटर, बहोड़ापुर और हुरावली क्षेत्र के अभिभावकों ने अक्सर शिकायत की है कि स्कूल अतिरिक्त शुल्क के नाम पर भारी रकम लेते हैं-कभी गतिविधि शुल्क, तो कभी विकास शुल्क के रूप में। अब यह सब पोर्टल पर दर्ज होना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे अभिभावक आसानी से तुलना और शिकायत कर सकेंगे।
डीपीआई ने कहा है कि यदि किसी अभिभावक को अधिक शुल्क वसूली या पोर्टल पर दर्ज फीस और वास्तविक फीस में अंतर दिखाई देता है, तो वह सीधा आनलाइन शिकायत कर सकता है। शिकायत मिलने पर विभाग जांच करेगा और यदि आरोप सही पाए गए, तो स्कूल प्रबंधन पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
लोक शिक्षण विभाग के आदेश के मुताबिक सभी स्कूलों को फीस को पोर्टल पर अपलोड करना होगा। जिससे पालक ऑनलाइन स्कूलों की फीस देख सकें। फीस अपलोड न करने वाले स्कूलों के खिलाफ डीपीआई कार्रवाई करने का भी निर्णय ले सकता है। - हरिओम चतुर्वेदी, जिला शिक्षा अधिकारी, ग्वालियर
डीपीआई ने साफ कर दिया है कि जिस फीस संरचना को स्कूल पोर्टल पर दर्ज करेंगे, वही मान्य होगी। यदि इसके विपरीत किसी स्कूल द्वारा अभिभावकों से अधिक शुल्क वसूला जाता है या मौके पर जांच में अनियमितता पाई जाती है, तो स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें आर्थिक दंड से लेकर मान्यता निरस्त करने तक की कार्रवाई शामिल है।