
Ram Mandir Ayodhya: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। आखिर वो घड़ी आ ही गई, जिसका हर सनातनी को सदियों से इंतजार था। हम लोग सौभाग्यशाली हैं कि लंबे संघर्ष और कई रामभक्तों के बलिदान के बाद श्रीरामजन्मभूमि अयोध्याधाम में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के साक्षी बनेंगे। हमारी कई पीढ़ियां इस सपने के साथ इस धाम से प्रभु श्रीराम जी के चरणों में विलीन हो गईं। 1990 व 1992 में हुई कारसेवा में भाग लेने वाले सुशील जैन का कहना है कि अब एक ही अभिलाषा है कि अयोध्याधाम में जाकर रामलला के दर्शन करें।
कारसेवा के संघर्षमय पलों को याद करते हुए रामभक्त जैन का कहना था कि उस समय तो हर सनातनी कारसेवक की भूमिका में नजर आ रहा था। समूचे राष्ट्र से अयोध्याधाम जाने वाले मार्ग में पड़ने वाले हर शहर-गांव व गली-मोहल्लों में रहने वाला रामभक्त कारसेवा के प्रति समर्पित थे। क्योंकि अप्रत्यक्ष कारसेवकों की मदद के बगैर यह रामकाज किसी भी सूरत में सफल नहीं होता, क्योंकि इन लोगों ने जोखिम उठाकर कारसेवकों को अपने घरों में छिपने का स्थान दिया और बगैर डरे भोजन-पानी की व्यवस्था कर हम लोगों की अयोध्या तक पहुंचने में मदद की। तलघर में एक दिन छिपाए रखा सुशील जैन ने बताया कि हर नागरिक रामकाज के लिए समर्पित नजर आ रहा था। गुप्त रूप से कारसेवकों के लिए चल रहे भंडारे में हम लोगों ने भोजन किया। इसी बीच किसी ने कारसेवकों के जमा होने की सूचना पुलिस को दे दी। पुलिस ने चारों तरफ से घेराबंदी की। एक अपरिचित परिवार ने हम लोगों को शरण दी और तलघर में छिपा दिया। पुलिस उनके घर भी तलाशी लेने के लिए पहुंची। उस परिवार ने हिम्मत के साथ पुलिस का सामना करते हुए कहा कि यहां कोई कारसेवक नहीं हैं। पुलिस के जाने के बाद हम लोगों को इस संकल्प के साथ अयोध्या जाने के लिए विदा किया कि आप लोग अपने लक्ष्य में सफल हों। इस तरह का राममय वातावरण हर गांव में नजर आया।