Ramjan Mubarak 2022:ग्वालियर.नईदुनिया प्रतिनिधि। चांद दिखने के साथ ही रमजान का पहला रोजा आज रखा जाएगा। इस दौरान रोज़दार दिन दुनिया में अमन-चैन कायम रखने के लिए अल्लाह से प्रार्थना करेंगे। इस्लाम धर्म में इबादत का महीना यानी रमजान रोजा माह सूरज निकलने के कुछ वक्त पहले से सूरज के अस्त होने तक कुछ भी नहीं खाना-पीना यानी निर्जल-निराहार रहना बहुत अहमियत रखता है। रुयते हिलाल कमेटी के सदर शहर क़ाज़ी अब्दुल अज़ीज़ क़ादरी ने बताया कि सामाजिक नजरिए से रोजा इंसान की अच्छाई है। रोज़ा यानी तमाम बुराईयों से रुकना या परहेज़ करना। ज़ुबान से बुरा न बोलना, आंख से बुरा न देखना, कान से बुरा न सुनना, हाथ-पैर और शरीर के अन्य हिस्सों से कोई बुरा काम न करना। सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम रोज़ा नहीं होता है बल्कि इन बातों को अमल में लाने का नाम ही रोज़ा है। पुरी दुनिया की कहानी भूख, प्यास और इंसानी ख्वाहिशों के ईद-गिर्द घुमती है और रोजा इन तीनों चीजों पर नियंत्रण रखने की साधना है। रमजान का महीना तमाम इंसानों के दुख-दर्द और भूख-प्यास को समझने का महीना है ताकि रोज़दारों में भले-बुरे को समझने की क्षमता पैदा हो।
मस्जिदों में तरावी की नमाज की तैयारी
शहर की सभी छोटी बड़ी मस्जिदों में तरावी की नमाज होगी इसके लिए मस्जिदों में खासकर भीषण गर्मी को देखते हुए लाइट, बिजली, पानी और हवा की पूरी व्यवस्था की गई है। इस माह में ज्यादातर मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ बढ़ जाती है। इसे देखते हुए विशेष तैयारी भी की गई है ताकि नमाजियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो कई जगह टेंट लगाकर उसमें कूलर पंखे भी लगाए गए है।
सहरी और इफ्तार
इस्लामिक मान्यता अनुसार रमजान के दिनों में सूर्योदय से पहने खाना खाया जाता है। इसे सहरी कहते हैं। सहरी का समय पहले से ही निर्धारित होता है। इसके बाद दिनभर भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत की जाती है। फिर शाम के समय नमाज पढ़ने के बाद रोजा खोलते हैं। इसे इफ्तार कहते हैं।
आज के रोजे का वक्त
इफ्तार रविवार 6:44 बजे। सेहरी सोमवार 4:40 बजे।