- युगल पीठ ने एफआइआर के आदेश को किया निरस्त
- बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका में एकल पीठ ने दिया था केस दर्ज करने का अादेश
ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाई कोर्ट की युगल पीठ से मंगलवार को झांसी रोड थाने के प्रभारी संजीव नयन शर्मा को बड़ी राहत मिल गई। युगल पीठ ने एकल पीठ के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें पुलिस अधीक्षक को संजीय नयन शर्मा के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए था। कोर्ट ने कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में थाना प्रभारी के खिलाफ कोई मांग भी नहीं थी, न पार्टी थे। एकल पीठ ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश दिया है। रिट अपील की सुनवाई चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति आनंद पाठक की बैंच ने की।
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने 28 जून 20222 को एक बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका का निराकरण करते हुए कहा था कि थाने में कानून का पालन नहीं किया जा रहा है। नाबालिग को बरामद करने के बाद झांसी रोड थाना पुलिस ने उसका मेडिकल नहीं कराया। यह लिखकर ले लिया कि वह मेडिकल कराना नहीं चाहती है। इस पर पीड़िता की मां व डाक्टर की टीप नहीं थी। जब पीड़िता की मां व पिता शिकायत करने थाने पहुंचे तो पुलिस ने अभद्र व्यवहार करते हुए भगा दिया। एकल पीठ ने इस मामलों को संज्ञान में लेते हुए संजीव नयन शर्मा व एएसआइ राजकिशोर त्रिपाठी के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था। इस अादेश को संजीय नयन शर्मा व राजकिशोर त्रिपाठी ने रिट अपील दायर कर युगल पीठ में चुनौती थी। उनकी ओर से कहा गया कि बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका सुनने का अधिकार युगल पीठ के पास है। एकल पीठ के पास यह अधिकार नही हैं। इसलिए एकल पीठ कानून के दायर से बाहर जाकर फैसला नहीं कर सकती है। संजीव नयन शर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दुदावत ने तर्क दिया कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में इस तरह का आदेश नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने एफअाइअार दर्ज करने के आदेश निरस्त कर दिया। अपील स्वीकार कर ली।