Samvad in Naidunia: ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। खेती किसानी को आय का साधन बनाने के लिए सरकार दशकों से काम कर रही है। इसके बाद भी किसानों की दशा में कोई परिवर्तन नहीं आया। महाजन तो नहीं रहे पर अब आढ़तिया के घर फसल पहले की गिरवी रख दी जाती है। किसानों की आय को बढ़ाने हजारों योजनाएं बनाई पर वह धरातल पर मूर्त रूप लेती उससे पहले ही दम तोड़ गईं। जरूरत है किसानों को जागरूक करने की। उन तक नई तकनीक और योजनाओं को पहुंचाने से लेकर प्रशिक्षण और फसल को बाजार में उचित मूल्य दिलाने की। यदि ऐसा होगा तो निसंदेह किसानों की आय भी बढ़ेगी और देश की तस्वीर भी बदलेगी। इन्हीं सब मुद्दे को लेकर नईदुनिया कार्यालय में किसान,कृषि अधिकारी,जनप्रतिनिधि के बीच संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें वे सभी बातें सामने आईं जो हमारे किसान को एक मजबूत कृषक बना सकती हैं।बस जरूरत है तो सरकार और उसके सिस्टम को जगाने की जो किसानों के बीच पहुंचकर अपनी एक एक याेजनाओं को धरातल तक पहुंचा सके।
ग्वालियर चंबल अंचल का किसान पारंपरिक खेती के साथ में कामर्शियल फसलों का उत्पादन करे। भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है यहां पर धनिया,मिर्ची,टमाटर से लेकर फल और फूल की मांग है। जिसे उचित दाम पर हम बेचकर अच्छा मुनाफ कमा सकते हैं। यह फसलें आपको पूरे वर्ष भर आय का साधन बनती है।जबकि पारंपरिक खेती साल में एक बार आपको आया दिलाती है।कामर्शियल खेती के लिए हमारी मिट्टी,पानी और मौसम तीनों ही अनुकूल है।इसके साथ ही प्रसंस्करण भी करें और यूनिट लगाकर खुद अपने प्रोडक्ट को बाजार में 10 से 20 गुना कीमत पर बेचें।
आदित्य सिंह, सीईओ इनक्यूबेशन सेंटर ग्वालियर
कैसी विडंबना है कि किसान अपने पसीने से फसल तैयार करता है और जब बेचने के लिए मंडी पहुंचता तो उसकी फसल के दाम आढ़तिया लगाता है। इस कारण से किसान को फसल के उचित दाम नहीं मिल पाते और सस्ते में बेचना उसकी मजबूरी होती है। कामर्शियल खेती किसान करना चाहता है पर उसके पास बाजार नहीं है और बिचौलिया उसकी आय दलाली में खा जाते है। हालात यह है कि किसान को लागत भी नहीं मिलती।इस सिस्टम को सरकार को समाप्त करना होगा और कामर्शियल खेती की एमएसपी भी निर्धारित करनी चाहिए।
राजेश दुबे, प्रदेश महामंत्री किसान मोर्चा बीजेपी
जिनके पास जमीन नहीं है या कम है। वह मशरूम की खेती कर सकते हैं। इसकी खेती आप एक छोटे कमरे में भी कर हर माह हजारों रुपये कमा सकते है।लेकिन प्रचार प्रसार के अभाव में लोग इसकी खेती नहीं करते और इसका बाजार भी सीमित है। यदि सरकार प्रयास करे और मशरूम के फायदे बताए तथा मिड डे मिल में इसे शामिल करे। क्योंकि इसमें विटामिन,आयरन,मिनरल सभी होते हैं। जो कुपोषण को दूर करने में सहायक सिद्द होती है। तो लोग इसे खाने में शामिल करेंगे जिससे बाजार बड़ेगा और उत्पादन भी।
डा हरिशरण गोस्वामी, इक्यूबेटर
खेती किसानी के लिए सरकार अलग अलग योजनाओं में सब्सिडी दे रही है। किसान को यदि बाजार में फसल की कीमत नहीं मिल रही तो वह प्रोसेसिंग यूनिट लगाए और अपनी फसल से प्रोडक्ट तैयार करें। खेत पर तार फेंसिंग से लेकर यूनिट लगाने तक के लिए 20 से 50 फीसद तक की सब्सिडी दी जा रही है। हाई ब्रिड पौध लगाएं और सब्जी से लेकर फूल उगाएं। जब फसल की कीमत बाजार में अच्छी मिले तो कच्ची फसल बेचे नहीं तो प्रोडक्ट तैयार कर बेचकर मुनाफा कमाएं।
एमपीएस बुंदेला, उद्यानिकी अधिकारी
किसान जबतक मिश्रित खेती नहीं करेगा उसे लाभ नहीं होगा। यदि किसी के पास दस बीद्या जमीन है तो वह पारंपरिक खेती दो बीघा में करे,दो बीघा में सब्जी उगाए,दो बीघा में दलहन व तिलहनी फसल लगाए, दो बीघा में वह फल आदि लगाए।इसके साथ पशु पालन,बकरी या मुर्गा पालन करे। जिससे उसकी आय निरंतर रहेगी। रही बात फसल के उचित दाम न मिलने के। तो उसके लिए किसान जब फसल बेचने जाए तो अच्छा और खराब माल अलग अलग करे। जिससे उसे अच्छी फसल के अच्छे दाम मिलें। फसल बेचने के लिए तीन विकल्प है उन्हें चुनें। एक मंडी में आक्सन, दूसरा आनलाइन एप पर, तीसरा शासकीय मूल्य पर।
कदम सिंह, मंडी सचिव
किसान के सामने सबसे बड़ी समस्या होती है कि उसे शासन से खाद,बीज,पानी और बिजली समय पर उपलब्ध नहीं होती।नुकसान होने पर फसल बीमा का भी लाभ पूरी तरह से किसानों को नहीं मिल पाता। जरूरी है कि फसल तैयार हो तो किसान को फसल बेचने उचित मूल्य का बाजार मिले। किसान को महाजन से कर्ज न लेना पड़े इसके लिए किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाए। जब नई नई एजेंसियां आती है तो वह शोषण करती है इसलिए जरूरत है कि किसान को अपग्रेड करें जिससे वह अच्छा बुरा समझ सके।
हरी प्रकाश वर्मा, कृषक एवं सेवानिवृत आडिट आफिसर
कार्यपालिका ईमानदारी से काम करे तो किसान परेशान न हों। किसान जब फसल लेकर मंडी पहुंचता तो उसकी ग्रेड देखी जाती है। लेकिन जब पैक्ड फूड लेकर आते उसकी ग्रेड तो कोई नहीं देखता। किसानों की भूमि का अधिग्रहण हुआ।सरकार ने भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा के रूप में जो राशि दी उसके लिए एक नियम का चुनाव शासन को करना होता है जो गलत किया। इससे किसानों को उनकी जमीन का कम मुआवजा मिला। यदि सरकार अपनी गलती सुधारे तो किसान का लाभ होगा। इसको लेकर न्यायालय में किसान पहुंचे है पर सरकार अपनी गलती मानने काे तैयार नहीं है।
मुख्तियार सिंह यादव, सामाजिक कार्यकर्ता
खेत को बढ़ाया नहीं जा सकता। लेकिन पशु पालन कर आय को बढ़ाया जा सकता है। जो किसान देशी नस्ल की गाय-भैंस पालते हैं पर दुग्ध प्रोडक्शन कम है। वह किसान गाय-भैंस का गर्भधारण सेक्स रैकेट सीमेंस से कराएं। जिससे आने वाली नस्ल अच्छी होगी और दुग्ध प्रोडक्शन बढ़ाएगी। गजब की बात यह है कि ग्वालियर चंबल अंचल में बड़े स्तर पर एक भी दुग्ध डेयरी,मुर्गी या बकरी पालन नहीं करता।जबकि इसके लिए अच्छी खासी सब्सिडी मिलती है। जानवर में होने वाली ब्रुसेला बीमारी को रोकने के लिए टीकाकरण कराएं जिससे भैंस समय से पहले पेट से बच्चा न फैंके।
डा रामगोविंद शर्मा, पशु चिकित्सक
हर साल नई वैराइटियां आ रही है। जिनमें कीट नहीं लगते,बीमारी नहीं होती और पैदावार अच्छी रहती है। इस वैरायटी की बुवाई करने पर हर साल किसान को बीज भी नहीं खरीदने होंगे और लागत कम होगी पैदावार बढ़ेगी। जब भी खाद या बीज किसान खरीदे तो ब्रांडेड ही खरीदे किसी के कहने पर कुछ भी न खरीदें। जरूरत है कि सरकार ब्रीडर सीड किसानों तक पहुंचाए तो फसल की पैदावार बढ़ेगी।
मुकेश शर्मा, कृषि विस्तार अधिकारी
किसानों की आय बढ़े इसके लिए सरकार ने हर स्तर पर योजनाएं बनाई हैं।किसान के लिए निशुल्क मिट्टी परीक्षण,खाद, दलहनी,तिलहनी फसल के बीज निशुल्क उपलब्ध कराने से लेकर सब्सिडी तक दी जाती है। किसान पुराने के साथ नए ब्रीडर सीड का उपयोग करें।किसानो को दुकान पर खाद,बीज गुणवत्ता पूर्ण मिले इसके लिए समय समय पर दुकानों की जांच करते और गड़बड़ पाने पर कार्रवाई भी करते। किसान को चाहिए कि मिट्टी की जांच कराए और उसमें क्या कमी है उसके हिसाब से बुवाई करे तथा खाद डाले। जिससे लागत घटेगी और पैदावार बढ़ेगी।
डा डीएल कोरी, संभागीय अधिकारी कृषि विभाग
सरकार,किसान की आय बढ़ाने के लिए एक जिला एक उत्पाद योजना लेकर आई है। किसान उसी के हिसाब से फसल पैदा करे और प्रोडक्ट तैयार कर खुद बाजार में उतरे। नई तकनीक को अपनाएं और बुवाई के समय अच्छे बीज का चुनाव करें। नैनो खाद आ चुका है तो ड्रोन का प्रशिक्षण ले जिससे उसे खाद के छिड़काव करना आसान होगा और श्रम कम लगेगा। किसान को चाहिए कि वह जो भी फसल पैदा करने जा रहा है उसकी मार्केटिंग पहले करे जिससे फसल को अच्छा दाम पर बेचना आसान होगा।
डा संजय शर्मा, डायरेक्टर आफ रिसर्च कृषि विश्वविद्यालय
किसान पारंपरिक खेती के साथ पशु पालन करे जिससे दुग्ध उत्पादन बढ़ेगा। दुग्ध बेचकर वह अपनी आय बढ़ा सकता है। आज के समय में किसान घर में बचने वाला अतिरिक्त दुग्ध ही हमें बेचता है। वह बेचने के लिए दुग्ध उत्पादन नहीं कर रहा है। जबकि किसान को चाहिए कि वह शुद्ध दुग्ध का उत्पादन बढ़ाए और अपनी आय बढ़ाए।
संजय शिवहरे, प्रभारी क्षेत्र संचालक सांची