ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। दाल बाजार स्थित नाट्य मंदिर में शनिवार को संध्या छाया नाटक का मंचन शुरू हुआ। रंग सारथी एवं एसोसिएशन आफ ग्वालियर यूथ सोसायटी की इस प्रस्तुती में एक ऐसे युवक की कहानी दिखाई गई, जो अपने करियर और आराम के लिए मात-पिता को अनदेखा करता है।
नाटक के मुख्य पात्र अप्पा नानी जी के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा अमेरिका में इंजीनियर है। वह शादी करने के बाद अमेरिका में ही बस गया है, जबकि छोटा बेटा एयरफोर्स में पायलट है। यह 1971 के युद्ध में शहीद हो जाता है। बूढ़े मां बाप घरेलू नौकर के सहारे रोजमर्रा की समस्याओं से लड़ते हुए बड़े बेटे की वापसी का इंतजार करे हैं। कई दृश्यों के साथ नाटक समापन की ओर बढ़ता है, लेकिन बूढ़े मां-बाप के पास अमेरिका से बेटा नहीं लौट पाता। नाटक के निर्देशन रवींद्र कुमार जगताप हैं। अलग-अलग पात्रों की भूमिका गोपाल देशपांडे, रेणु झवर, रेशु गंगवार, आशुतोष पांडेय, अनिकेत दुबे आदि ने निभाई।
चीन की कई देशों को प्रभावित करने की कोशिशः द्वितीय विश्व युद्घ के बाद पूरी दुनिया दो खेमों में बंट गई थी। कुछ रूस के साथ तो कुछ अमेरिका के साथ। गुटनिरपेक्ष रहना मुश्किल था। भारत गुटनिरपेक्ष रहा। कुछ समय के लिए रूस के विघटन के बाद जब तक चीन दृश्य पर नहीं आया तब तक संयुक्त राज्य अमेरिका प्रमुख शक्ति बन गया। अब चीन नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान जैसे छोटे देशों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। चीन की नीति इन देशों में बड़ी परियोजनाएं शुरू करने की है। कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे थे माल्टा जार्डन और लीबिया में राजूदत रह चुके अनिल त्रिगुणायत। वे आइटीएम यूनिवर्सिटी की12 वीं विज्डम लेक्चर सीरिज में उपस्थित सदस्यों को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। लैक्चर यूनवर्सिटी इंडस्ट्री सेल के तत्वावधान में वैश्विक व्यवस्था और वर्तमान संदर्भ में भारत की विदेश नीति की चुनौतियां विषय पर रखा गया। उद्घाटन संबोधन आइटीएम के वाइस चांसलर डा. एसएस भाकर ने दिया। इस मौके पर डीन इंडस्ट्री इंटरेक्शन एंड कंसल्टेंसी के प्रोफेसर डा रतन कुमार जैन और डीन इंटरनेशनल कोआपरेशन एंड प्रोजेक्ट्स डा योगेश चंद्र मौजूद थे।