नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में ग्वालियर-श्योपुर ब्राडगेज परिवर्तन और कोटा तक विस्तारीकरण के प्रोजेक्ट के लिए 500 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इससे अब सबलगढ़ से श्योपुर तक गेज परिवर्तन और श्योपुर से कोटा के बीच नई लाइन बिछाने का काम शुरू किया जाएगा। वहीं तीसरी लाइन (थर्ड लाइन) परियोजना के अंतर्गत मथुरा से बीना के बीच कार्य के लिए 467.58 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इसमें मथुरा से झांसी तक कार्य के लिए 365.58 करोड़ रुपये और झांसी से बीना के बीच तीसरी लाइन के लिए 102 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
वहीं दावा किया गया है कि रेलवे स्टेशन पुनर्विकास के कार्यों में भी तेजी लाई जाएगी। पिछले वित्तीय वर्ष में श्योपुर ब्राडगेज प्रोजेक्ट के लिए 660 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे, जबकि मथुरा से बीना तक तीसरी लाइन के कार्य के लिए 996 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी। इस बार उत्तर मध्य रेलवे के झांसी मंडल को बजट में 2202.46 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।
यह पिछले वर्ष के बजट 2045.09 करोड़ रुपये से 7.69 प्रतिशत अधिक है। बजट में झांसी मंडल की रेल परियोजनाओं के लिए यह बड़ी राशि दी गई है। मंडल में नई रेल लाइन, गेज परिवर्तन व दोहरीकरण के सभी बड़े प्रोजेक्ट के लिए राशि स्वीकृत होने के बाद अब काम तेजी से होगा। गत 23 जुलाई को संसद में बजट प्रस्तुत होने के बाद बुधवार को रेलवे की पिंक बुक में मदवार प्राप्त बजट की जानकारी झांसी मंडल के अधिकारियों को मिल गई।
अधिकारियों के अनुसार इस बजट में अधोसंरचना के कार्यों के लिए राशि दी गई है। मथुरा से बीना के बीच तीसरी रेल लाइन बनने के बाद ट्रेनों की गति बढ़ेगी। यात्रा का समय बचेगा और ट्रेनों की देरी पर भी अंकुश लगेगा। इसके बाद कुछ और नई ट्रेनों को भी चलाने का विकल्प खुल जाएगा। चूंकि रेलवे का विशेष ध्यान माल ढुलाई पर है, ऐसे में अतिरिक्त ट्रैक मिलने की स्थिति में उस पर मालगाड़ियों का संचालन होगा, जिससे सवारी गाड़ियों के संचालन में दिक्कत नहीं आएगी।
लगभग 2400 करोड़ रुपए की लागत से ग्वालियर से श्योपुर के बीच नैरोगेज को ब्राडगेज में परिवर्तित करने का काम वर्ष 2018 से चल रहा है। इसके अंतर्गत बिरलानगर स्टेशन से रायरू-बानमोर होते हुए वर्तमान में जौरा अलापुर तक मेमू ट्रेन का संचालन किया जा रहा है। जौरा से कैलारस के बीच रेलवे ट्रैक पूरी तरह से तैयार है और दो दिन पूर्व प्रिंसीपल चीफ इलेक्ट्रिक इंजीनियर ने यहां निरीक्षण भी कर लिया है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही कैलारस तक मेमू ट्रेन का संचालन शुरू हो जाएगा। हालांकि श्योपुर तक ट्रेन के संचालन के लिए दिसंबर 2024 तक का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन कार्य की गति को देखते हुए यह अभी संभव नजर नहीं आ रहा है।
नई लाइनों का निर्माण 0.03
गेज परिवर्तन 263
दोहरीकरण 992.96
यातायात सुविधाएं 100.7
सड़क संरक्षा कार्य 91.36
रेलपथ नवीनीकरण 210.08
पुल संबंधी कार्य 74.75
सिग्नलिंग कार्य 12.00
बिजली संबंधी कार्य 90.39
कारखानों के लिए 08
कर्मचारी कल्याण कार्य 03
उपभोक्ता सुविधाएं 344.19 (राशि करोड़ रुपयों में)