- सूर्य के दक्षिणायन तथा आद्रा नक्षत्र में आते ही शुरू हुई वर्षा ऋतु
- ग्रह नक्षत्रों के आधार पर इस बार खूब होगी बारिश
ग्वालियर.नईदुनिया प्रतिनिधि। देश भर में गर्मी का प्रकोप अपने चरम पर जारी है। सूर्य देव का ताप इस प्रकार अपना कहर ढा रहा है। जिससे हर जीव, जंतु, मनुष्य बेहाल है। तापमान की बात करें, तो 45 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो रहा है। ऐसे में सूर्य देव का दक्षिणायन तथा नक्षत्र में आना बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सूर्य देव के 21 जून से दक्षिणायन होने से वर्षा ऋतु का शुभारंभ हो चुका है। साथ ही सूर्य देव के आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करने से वर्षा की शुरु हो चुकी है। सूर्य के आद्रा नक्षत्र में प्रवेश को वैदिक मौसम विज्ञान में उत्तम वर्षा का योग माना जाता है। इसी के साथ मौसम में बदलाव के कारण बीमारियां भी फैलेंगी इसलिए खानपान में सावधानी रखने से बीमारियों से बचा जा सकता है। वहीं आयुर्वेदिक में विसर्ग काल की भी शुरुआत होगी। इस काल में सूर्य का बल क्षीण हो जाता है। और चंद्रमा का बढ़ जाता है। ऊर्जा, प्रकाश के प्रतीक है। आरोग्य के कारक है और जीवन में उम्मीद के संवाहक हैं। सूर्य को संसार की आत्मा कहा जाता है।
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉ. सतीश सोनी के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य देव ने 22 जून बुधवार दोपहर 11:41 पर आद्रा नक्षत्र में प्रवेश किया था। सूर्य देव इस नक्षत्र में अगले महीने यानी 6 जुलाई 2022 बुधवार तक रहेंगे। उसके बाद आद्रा नक्षत्र से निकलकर पुनर्वसु नक्षत्र में चले जाएंगे। सूर्य देव का लगभग यहां 15 दिनों तक आद्रा नक्षत्र में रहना होगा। जो भारत में मानसून होने के योग को बल देगा। इससे गर्मी का ताप कम होकर शीतलता का एहसास होगा। आद्रा नक्षत्र के स्वामी राहू होते हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है। कि आद्रा नक्षत्र में सूर्य का प्रभाव काफी कम हो जाता है। आद्रा नक्षत्र में सूर्य का 22 जून से 6 जुलाई तक उपस्थित होना देशभर में वर्षा यानी मानसून होने की संभावना को दर्शा रहा है। ग्रह नक्षत्रों की स्थिति के हिसाब से इस बार भरपूर बारिश के योग बन रहे हैं।
नक्षत्रों की वर्षा के योग में महत्वपूर्ण भूमिका: कुछ नक्षत्रों में ही ग्रहों के योग बनने पर वर्षा की भविष्यवाणी की जाती है। विशेष रूप से समस्त नक्षत्रों में से आद्रा नक्षत्र, अश्लेषा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, मघानक्षत्र,पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र। इसके अलावा यदि रोहिणी नक्षत्र का बास समुद्र तट पर हो तो घनघोर वर्षा के योग का निर्माण होता है। आद्रा नक्षत्र 22 जून से, वही पुनर्वसु नक्षत्र 6 जुलाई, पुष्य नक्षत्र 20 जुलाई, अश्लेषा नक्षत्र 3 अगस्त, मघा नक्षत्र 17 अगस्त, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र 3 अगस्त, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र 13 सितंबर एवं हस्त नक्षत्र 27 सितंबर तक श्रेष्ठ बारिश होने की संभावना है। 10 अक्टूबर से चित्रा नक्षत्र रहेगा।
बारिश के योग:
- जुलाई में 2 तारीख, 3 तारीख, 4 तारीख, 8 तारीख, 11 तारीख, 16 तारीख, 19 तारीख, 27 तारीख 28 और 29 तारीख अच्छी बारिश की योग
- अगस्त में देश के पहाड़ी क्षेत्रों में जोरदार बारिश की संभावना वहीं इस दौरान मैदानी इलाकों में भी तेज हवा के साथ बारिश इस महीने लगभग 15 दिन बारिश के आसार रहेंगे।
- सितंबर 3 तारीख, 5 तारीख, 9 तारीख, 11 तारीख, 13 तारीख, 15 तारीख, 22 तारीख, 29 तारीख।