Swarnarekha River Revival Case : नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। स्वर्णरेखा नदी के पुनरुद्धार मामले मे हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में शुक्रवार को बेहद सख्त रवैया अपनाया। नगर निगम के अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई। एक तरफ हाई कोर्ट की युगलपीठ के जस्टिस रोहित आर्या के सवाल आ रहे थे तो दूसरी ओर नगर निगम की पैरवी करने वाले शासकीय अधिवक्ता दीपक खोत पन्ने पलटने में लगे रहे। ट्रंक लाइन में 2014 से लेकर अब तक कितना खर्चा हुआ है, लाइन बिछाने में अब तक कितना काम हुआ है और क्या स्थिति है? इन सवालों का जवाब न तो नगर निगम के अधिकारी दे पाए और न काउंसिल।
इस रवैये पर गुस्साए जस्टिस आर्या ने कहा कि ‘फारेस्ट विभाग ने पेड़ लगा दिए, जल संसाधन विभाग पानी देने के लिए तैयार है, लेकिन पिछले एक साल से नगर निगम ने ऐसा क्या काम कर दिया है, जिससे यह मामला एक इंच भी आगे बढ़ पाया हो। एक साल से नगर निगम सिर्फ कागजों में दौड़ लगा रहा है, धरातल पर इनका कोई काम नहीं हुआ। ध्यान रखना अगर इस मामले में जो सवाल पूछे हैं, उनसे जुड़े दस्तावेज अगली सुनवाई पर नहीं आए तो फिर इस मामले की सीबीआई जांच करवाएंगे।’ अब इस मामले की अगली सुनवाई आगामी सोमवार को होगी। सबको बता रहे हो कि स्वर्ग जैसा काम हो रहा है, जनता को बेवकूफ बना रहे हो क्या?
सुनवाई के दौरान मामले के ओआइसी से बात कर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि खर्चे का ब्यौरा पिछली सुनवाई में पेश कर दिया था। जिसपर जस्टिस आर्या ने झुंझलाकर कहा कि कर दिया था तो बताया क्यों नहीं, कहां है ब्यौरा दिखाओ। इसपर तपाक से मामले के ओआइसी विजय राज ने निगम के प्रोजेक्ट अमृत -1 का हवाला दिया, जिसपर कड़ी नाराजगी जताते हुए जस्टिस आर्या ने कहा कि ‘फिर अमृत पर पहुंच गए तुम, अमृत को क्या समझा हुआ है कि जितने खुराफाती काम हैं सब अमृत में ढंक जाएंगे? क्या है यह अमृत? ऐसा तो नहीं है कि इसके बहाने सब को स्वर्ग का दृश्य दिखा रहे हो, सबको बता रहे हो कि स्वर्ग जैसा काम हो रहा है। जब भी कोई सवाल पूछो तो अमृत की बात, जनता को बेवकूफ बना रहे हो क्या ?’ इस डांट के बाद भी सभी अधिकारी नजर झुकाए खड़े रहे।
नगर निगम के अधिवक्ता को फटकारा
जस्टिस आर्या: 2014 से 2024 तक क्या काम हुआ है और कितना खर्चा हुआ है?
अधिवक्ता: हलफनामा पेश कर दिया है।
जस्टिस आर्या: किसका हलफनामा है, और पेश कब किया है?
अधिवक्ता: ओआइसी का है सर, आज ही पेश किया है।
जस्टिस आर्या: सारी याद मुकदमे वाले दिन ही आती है, ट्राइल कोर्ट समझ रखा है क्या कि जब पेशी होगी उसी दिन कागज पेश किए जाएंगे। जिस हिसाब से आप और आपका विभाग काम कर रहा है, यह ठीक नहीं है।
जस्टिस आर्या: कबसे काउंसलर हो नगर निगम के?
अधिवक्ता: लंबे समय से हूं।
जस्टिस आर्या: जब अधिकारी आपकी बात नहीं मानते, कोर्ट का आदेश नहीं मानते हैं तो आप विड्रा कर लीजिए और उन्हें सारी चीजें खुद झेलने दीजिए, कब तक यहां खड़े होकर मी लार्ड - मी लार्ड करते रहेंगे?
जस्टिस आर्या: सीवरेज की मरम्मत और लाइन बिछाने में कितना खर्चा हुआ है?
न.नि. अधिवक्ता: हमने आज एक स्टेटस रिपोर्ट पेश की है।
जस्टिस आर्या: मिस्टर काउंसिल मुझे पढ़ाओ नहीं, जितना सवाल पूछा है उसका जवाब दो, यहां-वहां की बातें नहीं करो।
न.नि. अधिवक्ता ने एक कागज को पढ़ना शुरू किया।
जस्टिस आर्या: मिस्टर काउंसिल अब या तो आप डांट खा जाएंगे हमसे, मेरे सब्र की परीक्षा मत लीजिए।
न.नि. अधिवक्ता: इसमें पैसे का जिक्र नहीं है सर।
जस्टिस आर्या(चिल्लाकर): क्यों नहीं है? आखिरी सुनवाई पर स्पष्ट कहा था जानकारी देने के लिए। तथ्यों को क्यों छिपा रहे हो?
न.नि. अधिवक्ता: सर, अलग - अलग चीजों में खर्चा हुआ है, जिसका रिकार्ड है। स्टेटस रिपोर्ट के साथ है।
जस्टिस आर्या: देखो ऐसा है, पोस्टमैन जैसा व्यवहार तो करो मत, तुम वकील हो। कोई होमवर्क किया है नहीं, जो ओआइसी ने कान में डाल दिया वह बोल देते हो।
न.नि. अधिवक्ता: पिछली सुनवाई पर जानकारी पेश कर दी थी।
जस्टिस आर्या(चिल्लाकर): तो मुझे बताया क्यों नहीं?
(न.नि. अधिवक्ता ओआइसी से कानाफूसी करने लगे)
जस्टिस आर्या: ध्यान रखना, अगर यह आदमी कानों में जहर घोल रहा है या झूठ बोल रहा है तो मैं इसे जेल भेज दूंगा।
हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई में अधिवक्ता अवधेश तोमर के आवेदन का संज्ञान लेते हुए कुलदीप नर्सरी के पास से बहने वाले नाले के पानी का सैंपल करवाने का आदेश दिया था। अवधेश तोमर ने रिपोर्ट पेश कर दी, लेकिन निगम ने सैंपल नहीं करवाया। वहीं दूसरी ओर जब रिपोर्ट में सीवर का पानी होना बताया तो निगम ने कहा कि पता नहीं कहां का सैंपल है। इसपर हाई कोर्ट ने दोबारा सैंपल करवा कर सोमवार को रिपोर्ट पेश करने की बात कही है।
सुनवाई के दौरान शहर का एक आम व्यक्ति भी हाई कोर्ट जा पहुंचा, उसने कहा कि मेरे घर के पास भी 2004 से सीवर की समस्या है। प्लाट के पास खुला सीवर है। कमिश्नर ने जांच करने के बाद कहा था कि इसका कुछ नहीं हो सकता। मैं आवेदन दे रहा हूं, इसपर सुनवाई की जाए। हाई कोर्ट ने उस आवेदन पर निगम को जवाब तलब किया है।