नईदुनिया न्यूज, ग्वालियर। अगर आप कार खरीदने की योजना और बजट बना रहे हैं तो आपको इस चीज को अपनी योजना में शामिल करना चाहिए कि आयकर के प्रावधानों के अनुरूप 10 लाख रुपये से ज्यादा की गाड़ी खरीदने पर गाड़ी विक्रेता द्वारा उस बिल पर 1 फीसद टीसीएस (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) खरीददार से लेना अनिवार्य होता है। हालांकि यह दर कुछ परिस्थितियों में अलग-अलग हो सकती हैं।
धारा 206 सीसीए के तहत, अगर खरीदार पैन कार्ड नहीं देता है, तो ऐसे टीसीएस की दर 20 फीसद हो सकती है। इसके अलावा अगर खरीदार ने पिछले दो वित्तीय वर्षों में अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है, तो टीसीएस की दर पांच फीसद हो सकती है।
यदि पिछले 2 वित्तीय वर्षों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है और यदि उन 2 वर्षों में से प्रत्येक में कुल टीसीएस और स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) राशि 50 हजार रुपये से अधिक है, तो उच्च टीसीएस दर लागू हो सकती है। इस शर्त के तहत डिफाल्ट से बचने के लिए विक्रेता को बिक्री से पहले खरीदार की कर अनुपालन स्थिति का सत्यापन करना आवश्यक है।
मोटर वाहन का विक्रेता टीसीएस एकत्र करता है।और नियत तिथि के भीतर इस राशि को आपके निर्दिष्ट पैन कार्ड पर दिखाता है और भुगतान करता है। इस टीसीएस की राशि को आप अपना आयकर रिटर्न भरते समय रिफंड ले सकते हैं, लेकिन यह बात याद रखनी चाहिए कि आपकी आय टैक्सेबल लिमिट से कम होनी चाहिए।
अगर आपकी आय पर कर देयता है तो फिर इस टीसीएस की राशि को आपकी कर देयता से समायोजित किया जा सकता है। आधिक्य जमा की स्थिति में ही रिफंड लेने के योग्य होते हैं। खरीदारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विक्रेता उन्हें निर्धारित समय-सीमा के भीतर टीसीएस प्रमाणपत्र (फार्म 27डी) प्रदान करें। - स्वीटी माकीजा, चार्टर्ड एकाउंटेंट