नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। बिरला नगर रेलवे स्टेशन के नजदीक पटरियों पर ट्रेन पलटाने की साजिश के तहत रखा गया लोहे का एंगल और जाल 10 साल पहले तक रेलवे में ही उपयोग किया जाता था। इसका उपयोग पूर्व में सिग्नल को कवर करने के लिए किया जाता था।
ऐसे में जीआरपी टीआइ एमपी ठक्कर व जवानों ने रेलवे के स्थानीय अधिकारियों से भी पूछताछ की। उन्होंने सीपीडब्ल्यूआइ (चीफ परमानेंट वे इंस्पेक्टर) और आइओडब्ल्यू (इंस्पेक्टर आफ वर्क्स) से पूछा कि आसपास से ऐसा कोई एंगल तो चोरी नहीं हुआ है। वहीं इस मामले को लेकर एसपी रेल राहुल लोढ़ा भी बुधवार देर रात ग्वालियर पहुंचे।
उन्होंने यहां अधिकारियों की बैठक ली और इस मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी। उन्होंने सभी एंगल पर इस मामले की जांच कर जल्द ही आरोपियों तक पहुंचने के निर्देश दिए। वे देर रात ही भोपाल के लिए वापस भी चले गए। इसके बाद गुरुवार को जीआरपी ने रेलवे के पाइंट मैन और ट्रैक मैनों से भी पूछताछ की, लेकिन सभी का कहना था कि उन्हें पटरियों पर कोई संदिग्ध नजर नहीं आया।
ऐसे में जीआरपी की जांच का एंगल अब कबाड़ी और चोरों की तरफ भी घूम गया है। संभावना जताई जा रही है कि वर्षों पहले रेलवे में ही उपयोग होने वाले इस एंगल और जाल को किसी ने कबाड़ी से खरीदकर पटरियों पर रखा है या फिर यह हरकत नशेड़ियों की भी हो सकती है।
गत सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात करीब डेढ़ बजे बिरलानगर स्टेशन के नजदीक रेलवे ट्रैक पर लोहे के एंगल और जाल रखा गया था। इस जाल को इस प्रकार रखा गया था कि यदि तेज गति से ट्रेन गुजरती, तो निश्चित ही वह बेपटरी हो जाती और बड़ा हादसा हो सकता था। इस दौरान ट्रैक से मालगाड़ी 12 किमी प्रतिघंटा की गति से निकल रही थी। लोको पायलट का ध्यान इस एंगल पर चला गया और इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक लिया।
जीआरपी ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। अब बुधवार को इस मामले की जांच शुरू की। इस दौरान जीआरपी ने स्टेशन की ओर आने-जाने वाले रास्तों के सीसीटीवी कैमरों की रात 12 से डेढ़ बजे तक की फुटेज देखने के प्रयास किए। वहीं आसपास के इलाकों में निर्माण की साइटों पर नजर रखी जा रही है। नशेड़ियों के एंगल से भी जीआरपी जांच में जुटी है। हालांकि फिलहाल कोई सुराग नहीं मिल सका है।