
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। ग्वालियर में हाल ही में 10 बांग्लादेशी पकड़े जा चुके हैं। एक ही परिवार के आठ सदस्यों को छोड़ दिया जाए तो बाकी दो महिलाएं अनैतिक कार्यों के लिए लाई गई थीं। पुलिस ने पहले सिटी सेंटर फिर पड़ाव इलाके में बांग्लादेशी महिला को पकड़ा। दोनों ही किराये के फ्लैट में रह रही थीं। दोनों के पास स्थानीय फर्जी दस्तावेज मिले, जिसमे आधार कार्ड, पेन कार्ड भी शामिल थे। पुलिस ने इन्हें पकड़ा और दूतावास की मदद से इनके बांग्लादेशी होने की पुष्टि कराई।
एक महिला को महाराजपुरा में पकड़े गए आठ लोगों के साथ ही बांग्लादेश वापस भेजा जा रहा है, पड़ाव में मिली महिला अभी डिंटेंशन सेंटर में ही रहेगी। पुलिस का फोकस इन्हें वापस भेजने पर है, लेकिन जिन स्थानीय लोगों ने इन्हें पनाह दी। उन पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि कानून के जानकारों का कहना है कि नागरिकता छिपाकर लोगों को पनाह देना भी अपराध है।
सिटी सेंटर में पकड़ी गई महिला ने गुरुग्राम के अनीस शेख और पड़ाव में पकड़ी बांग्लादेशी महिला ने डॉ. तुषार मंडल का नाम लिया है। पुलिस इन तक पहुंचकर अगर गहन पड़ताल करे तो कबूतरबाजी से लेकर देश में इन्हें पनाह देने वालों के बड़े नेटवर्क का राजफाश हो सकता है। पुलिस का दावा है कि किरायेदार का वेरीफिकेशन अनिवार्य है। इसके लिए थानों की जवाबदेही है। ग्वालियर में दो बांग्लादेशी महिलाएं पकड़ी गई थीं, फिर किस तरह पुलिस वेरीफिकेशन हो रहा है। पुलिस इसके प्रति कितनी गंभीर है, अंदाजा लगाया जा सकता है।
ग्वालियर में अब तक जो भी बांग्लादेशी पकड़े गए, उनका बंगाल कनेक्शन ही निकला है। सीमा पार करने से लेकर भारत के अंदर दिल्ली और अन्य शहरों में इन्हें पनाह दिलाने तक के काम में बंगाली कनेक्शन जुड़ा।
गुरुग्राम के अनीस शेख का नाम सिटी सेंटर क्षेत्र में पूछताछ में खुला था। महिला ने बताया था कि अनीस शेख उसे नौकरी के बहाने लाया था। यहां देह व्यापार में धकेल दिया। पहले दिल्ली रखा फिर रविंद्र धाकड़ के हवाले कर दिया।