Training of Pilots in Gwalior: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। ग्वालियर के महाराजपुरा स्थित भारतीय वायुसेना का स्टेशन देश के उन तीन चुनिंदा एयरबेस स्टेशनों में शामिल है, जहां वायुसेना के लड़ाकू विमानों के सबसे अनुभवी पायलटों में शामिल सिर्फ एक प्रतिशत पायलटों को एयर काम्बैट का उन्नत प्रशिक्षण दिया जाता है। इसलिए महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन सबसे महत्वपूर्ण है।
यहां राफेल से लेकर सुखोई, मिराज, मिग-21 लड़ाकू विमानों का प्रशिक्षण पायलटों को दिया जाता है। सबसे अनुभवी पायलटों के प्रशिक्षण के लिए 22 साल पहले महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन पर टेकडी की शुरुआत की गई थी। जानिए क्या है टेकडी - टेकडी (टेक्टिक्स एंड एयर काम्बैट डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट) भारतीय वायुसेना की इकाई है, जिसमें लड़ाकू विमानों के सबसे अनुभवी शीर्ष पायलटों को प्रशिक्षण दिया जाता है। 1971 में टेकडी की स्थापना विंग कमांडर एके मुखर्जी ने स्कवाड्रन लीडर आरएस चिब के साथ की थी। इसकी पहली इकाई 1971 में पंजाब के आदमपुर बेस पर शुरू हुई थी। इसकी स्थापना का उद्देश्य था लड़ाकू विमान के पायलटों को उन्नत प्रशिक्षण देना, उन्हें हवा में लड़ाकू विमानों के सामरिक प्रक्रियाओं को विकसित करना, परिचालन सिद्धातों से अवगत कराना। 1971 में भारत-पाक युद्ध में टेकडी की भूमिका की सराहना हुई थी। इसके चलते 1995 में वायुसेना की इस इकाई को बैटल आनर्स से सम्मानित किया गया। वर्ष 2000 में ग्वालियर में इसकी शुरुआत हुई, इसके बाद से सबसे उन्नत प्रशिक्षण यहीं होता है। 2009 में टेकडी को उन्नत प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रपति मानक प्रदान हुआ था।
मिराज: यह फ्रांस निर्मित लड़ाकू विमान है। इसे राफेल फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी डसाल्ट ने ही निर्मित किया है। यह 47 फीट लंबा और 7500 किलो वजनी है और 2000 किलोमीटर प्रतिघंटा तक की गति से उड़ान भर सकता है। 13 हजार 800 किलोग्राम गोला-बारूद लेकर उड़ान भरने में सक्षम है। कारगिल युद्ध में इस विमान ने अहम भूमिका निभाई थी। इसमें अत्याधुनिक रडार और इलेक्ट्रानिक सिस्टम हैं। यह बमबारी करने और मिसाइल गिराने में माहिर है। यह 1800 राउंड प्रति मिनट की दर से गोले बरसा सकता है। एक साथ 6.3 टन वजन के गोलाबारूद ले जा सकता है।
सुखोई-30 एमकेआइ: यह विमान काफी अपग्रेड किया जा चुका है। इसमें दुनिया की सबसे खतरनाक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस दागने की क्षमता है। यह आधुनिक रडार सिस्टम, काकपिट सिस्टम है। इसकी तकनीक रूसी की है।यह दुनिया के 10 खतरनाक लड़ाकू विमानों में से एक है। यह 4.5 जनरेशन का फाइटर जेट है। यह 72 फीट लंबा और 20.10 फीट ऊंचा है। विंग स्पैन 48.3 फीट है। इसका वजह 18 हजार 400 किलोग्राम है। इसमें लीयूल्का एल-31 एफपी आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन लगे हैं। विमान की गति 2120 किलोमीटर प्रति घंटा है।