नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। साइबर ठग अभी तक बिजली के बिल, शादी के कार्ड आदि के मैसेज वाट्सएप पर भेजकर लोगों को ठग रहे थे, लेकिन अब ठगों ने ई-चालान के मैसेज को ठगने का नया हथियार बनाया है। ठग लोगों के वाट्सएप पर वाहन के ई-चालान के रूप में मैसेज भेजते हैं और मैसेज में दी गई लिंक पर चालान भुगतान करने के लिए कहते हैं। लोग हड़बड़ी में इस लिंक पर क्लिक कर जैसे ही चालान भरते हैं, वैसे ही साइबर ठगी के शिकार हो जाते है।
फोन का कंट्रोल साइबर ठगों के हाथ में पहुंच जाता है। इसके बाद आपका अकाउंट भी खाली हो सकता है। पहले ये मामले दिल्ली-एनसीआर में रिपोर्ट हुए थे। साइबर एक्सपर्ट चातक वाजपेयी के मुताबिक अब ये मामले मध्य प्रदेश में भी रिपोर्ट हुए हैं। खास तौर से जबलपुर और भोपाल में। यानी अब ई-चालान के माध्यम से ठग प्रदेश के ऐसे शहरों के लोगों को शिकार बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जहां पर आइटीएमएस से चालान होता है और एसएमएस से ई-चालान वाहन मालिकों को भेजा जाता है।
ठग इस तरह का मैसेज भेजते हैं कि उसे देखकर अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है कि वह नकली है। APK या in और .gov.in के फर्क न जानने वाले लोग हड़बड़ी में चालान के नाम पर साइबर ठगों के स्कैम का शिकार हो रहे है। साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक असली चालान के मैसेज में इंजन नंबर, चेसिस नंबर जैसी जानकारी होती है। लोग मैसेज में APK या in और .gov.in का फर्क नहीं देख पाते और भ्रम की स्थिति में एपीके फाइल पर क्लिक कर देते हैं और ठगों के जाल में फंस जाते हैं।
- सरकार की वेबसाइट से जो ई-चालान आता है वह वाट्सएप पर नहीं आता, बल्कि मोबाइल नंबर पर आधिकारिक एसएमएस आइडी से मैसेज आता है। साथ ही इसमें एपीके फाइल नहीं होती।
जैसे ही कोई वाट्सएप पर आई लिंक को क्लिक करता है और बैंक अकाउंट या डेबिट-क्रेडिट की जानकारी डालता है तो वैसे ही हैकर्स पहले उसका फोन हैक कर लेते हैं। इसके बाद फोन को कंट्रोल में रखकर बैंक खाते, डेबिट-क्रेडिट कार्ड का बैलेंस साफ कर देते हैं।
- ई-चालान के मैसेज में जो लिंक दी जाती है .gov.in है तो वह सही है। इस पर क्लिक कर सकते हैं। यदि नहीं है तो क्लिक न करें।
- यदि चालान का मैसेज आता है तो परिवहन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं और ई- चालान वाले ऑप्सन में जाकर अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन, इंजन व चेसिस नंबर डालकर चेक कर लें कि चालान हुआ है या नहीं। यदि हुआ है तो वहीं पर चालान की राशि जमा करें।
- साइबर अपराधी समय के साथ लोगों को ठगने के लिए नए तरीकों का उपयोग करते हैं, लेकिन वे केवल .apk फाइल को ही ठगने में उपयोग करते हैं। ठगों का मैसेज पूरा परिवहन वेबसाइट से आने वाले मैसेज की तरह होता है, केवल इनकी फाइल में आखिर में apk होता है। बस इस फाइल को क्लिक नहीं करना है। ऐसे में ठगों के जाल से बच सकते हैं। - चातक वाजपेयी, साइबर एक्सपर्ट।
साइबर अपराधी अपना तरीका बदलते रहते हैं। अभी ई-चालान से ठगने की कोई शिकायत ग्वालियर में तो नहीं आई है, लेकिन प्रदेश के कुछ शहरों से ई-चालान मैसेज से ठगने की जानकारी है। इसलिए किसी भी संदिग्ध लिंक के आने पर उसे क्लिक न करें। यदि ठगी हो भी जाती है तो ऑनलाइन व ऑफलाइन पुलिस, साइबर सेल में शिकायत करें। - संजीवनयन शर्मा, डीएसपी, साइबर क्राइम, ग्वालियर।