World Environment Protection Day: ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। प्रकृति के बिना जीवन की कल्पना करना संभव नहीं है। जिस तरह मानव शरीर पांच तत्वों में मिल जाता है उसी तरह प्रकृति के जल, जंगल और जमीन तत्व हैं। इनके बिना प्रकृति की कल्पना नहीं। इंसान तो क्या जीव जंतुओं का जीवन इसी पर निर्भर है। इसका संरक्षण करना कुछ मानव भूल गए थे। कोरोना संकट के आते ही कई लोग इसे सहेजने के लिए आगे आए। बहरहाल आज विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस है। इस दिन हम आपको को ऐसे चेहरों से परिचित करा रहे हैं, जिन्होंने पर्यावरण को नई दिशा देकर मिसाल कायम की। इनमें शामिल हैं बैंक आफ महाराष्ट्र के पूर्व प्रबंधक दिनेश मिश्रा, एजी आफिसर से रिटायर्ड देवेंद्र कुशवाह और सुजान सिंह। जिन्होंने अपना जीवन प्रकृति संरक्षण में लगा दिया। इनके प्रयासों से आज वहां भी पेड़ पौधे लहलहा रहे हैं, जहां कभी जमीन बंजर ही बंजर नजर आती थी। खास बात तो यह है इन सदस्यों ने जीवन यापन के लिए मिलने वाली पेंशन तक को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया।
20 हजार पौधों से पुलिस हिल को किया हराभरा: माधौगंज के निवासी बैंक आफ महाराष्ट्र के पूर्व प्रबंधक दिनेश मिश्रा ने बताया कि एसएएफ ग्राउंड के पास बनी पुलिस हिल की काया बदलने में उन्हें दस साल का समय लगा। आज वे उस हिल की खूबसूरती को देख मन ही मन प्रसन्न होते हैं। वे नौकरी से पहले एसएएफ ग्राउंड और पहाड़ी पर सैर करने जाया करते थे। यहां हरियाली न देख नीम की दो किलो निंबोरी डालने का विचार किया। 2012 में जब निबोरी डाली तो कुछ माह बाद पौधों का आकार लेने लगीं। इसे देख उनकी उम्मीद जागी। काफी जगह ट्रांसफर होता रहा, लेकिन वे जब भी ग्वालियर आते हिल पर जरूर जाते थे। जब रिटार्डमेंट का समय नजदीक आया तब ग्वालियर पोस्टिंग हुई। इसके बाद उनके लिए पर्यावरण के लिए काम करना और भी आसान हो गया। उन्होंने पूर्व पार्षद मनोज तोमर से बात कर पौधों के लिए पानी की व्यवस्था कराई। पौधों की रक्षा करने के लिए कुछ पत्थरों को एकत्रित करके छोटी सी दीवार बनाई। अब रिटार्डमेंट के बाद चार से पांच घंटे का समय पहाड़ी को देते हैं। इन्हें देखकर साल 2019 में एजी आफिस रिटायर्ड देवेंद्र कुशवाह ने भी अपना सहयोग देना शुरू किया। उनके योगदान से आसपास क्षेत्र के रहवासी काफी अभिभूत हुए, क्योंकि उन्हें पर्यावरण संरक्षण का पाठ सीखने का मौका।
2016 से शुरू किया राेपण, मिला वन आश्रम का स्वरूपः सज्जन सिंह ने बताया कि वे बिलौआ में 2016 से पौधे लगा रहे हैं। बिलौआ के आठ मीटर क्षेत्र में दो हजार पौधे लगाकर वन आश्रम तैयार कर दिया है। यह जमीन पूरी तरह बंजर थी। इसे चार पांच साल में 250 तरह के पौधे लगाकर हराभरा कर दिया है। इस क्षेत्र में रहने वाले लोग प्रेरित होकर पौधे ले जाकर अपने घर के आसपास के क्षेत्र में लगा रहे हैं। साथ ही यहां फलदार की जगह छांवदार पौधे लगाए, जिन्होंने अब पेड़ का रूप ले लिया है। अब इनके नीचे बैठकर लोग अपना काफी समय व्यतीत करते हैं।