ग्वालियर, (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शून्य यानी कुछ भी नहीं। इसके बिना गणितज्ञों का गणित भी शून्य नजर जाता है। माना जाता रहा है ब्रह्मगुप्त नामक विद्वान और गणितज्ञ ने पहली बार शून्य के साथ उसके सिद्धांताें को परिभाषित किया। प्रारंभिक दौर में यह संख्याओं के नीचे एक डाट के रूप में था। इससे पहले महान गणितज्ञ और खगोलविद आर्यभट्ट ने दशमलव प्रणाली में इस शून्य को इस्तेमाल किया था। इस प्रयोग के बाद दुनिया ने मान लिया शून्य (जीरो) भारत ने ही उसे दिया है। एक से लेकर नौ के बाद की संख्याओं में शून्य का प्रयोग होने लगा। हालांकि इस शून्य को लेकर कई प्रयोग हुए। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध से स्पष्ट हुआ कि शून्य की शुरुआत के प्रमाण में भारत में ही सर्वाधिक हैं। इस शून्य की पड़ताल में पूरी दुनिया की नजर ग्वालियर में वहां पड़ीं, जहां पर शून्य को उकेरा हुआ बताया गया। बाहर से आए सैलानियों के लिए यह शून्य किसी रोमांच से कम नहीं रहा है। आज भी चतुर्भुज मंदिर के शिलालेख पर यह शून्य नजर आता है। इतिहास की दीवार पर उकेरे गए इस शून्य का जिक्र स्थानीय साहित्यकार भी अपनी पुस्तकों में कर चुके हैं।
इतिहासकारों का कहना है कि चतुर्भुज मंदिर ने हर युग के गणितज्ञों को अपनी ओर आकर्षित किया है। इसकी बड़ी वजह यहां मौजूद शून्य ही है। इस मंदिर पर एक नौवीं शताब्दी का शिलालेख है, जिस पर शून्य का उल्लेख किया गया है। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 876 ईस्वी में किया गया था। इतिहासकार आरए शर्मा का कहना है कि शिलालेख पर देवनागरी लिपि और संस्कृत भाषा में लिखा गया, इसलिए हर कोई इसे आसानी से नहीं पढ़ पाता है। शिलालेख पर 270 गुणा 167 हाथ जमीन दान में देने और पूजा के लिए प्रतिदिन 50 मालाएं दान में देने की बात लिखी गई है। शोधार्थी अमित सेंगर का कहना है भारतीय गणितज्ञ तीसरी सदी से शून्य का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। ऐसा उन्होंने वरिष्ठ गणितज्ञ और इतिहासकारों की जुबानी सुना है। साल 2013 में ब्रिटिश लेखक एलेक्स बेलोज ने ग्वालियर के चतुर्भुज मंदिर का दौरा किया था। वह बीबीसी रेडियो डाक्यूमेंट्री के लिए शोध कर रहे थे। उन्होंने अपने एक लेख में लिखा था कि भारतीय ही हैं, जिन्होंने पहली बार जीरो को एक और नौ से जोड़कर दूसरी संख्या का निर्माण किया। जीरो की अवधारणा कहीं न कहीं निर्वाण के भारतीय दर्शन के साथ भी जुड़ी है। जब हम साधना में होते हैं, तो ऐसी स्थिति को आध्यात्मिक शून्यता कहा जाता है।