
नईदुनिया प्रतिनिधि, टिमरनी। जिले के आर्थिक रूप से संपन्न परिवार विवाह समारोह में दानव रूपी दहेज प्रथा के खिलाफ कदम आगे बढ़ा रहे हैं। कोई शगुन (सावा) में आए लाखों रुपये लौटाकर दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं, तो कोई बिना दहेज के विवाह करके समारोह का खर्च भी वर पक्ष के लोग उठाकर बेटी बोझ नहीं होने का संदेश दे रहे हैं।
ऐसा ही उदाहरण टिमरनी नगर के आखरे परिवार ने दहेज प्रथा के खिलाफ साहसिक कदम उठाकर प्रस्तुत किया है। नगर के सुदर्शन आखरे और जयश्री खोड़े का विवाह सादगी और सामाजिक मूल्यों के साथ संपन्न हुआ, जिसमें वर पक्ष ने दहेज लेने से साफ इंकार कर दिया। दहेज जैसी कुप्रथा के खिलाफ यह निर्णय न केवल परिवार की समझ और सोच को दर्शाता है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।
सुदर्शन आखरे के परिवार ने विवाह को संस्कारों और समानता पर आधारित रखते हुए दहेज मुक्त विवाह कर यह सिद्ध किया कि खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए दहेज नहीं, बल्कि संस्कार और सहयोग की आवश्यकता होती है। दहेज प्रथा समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव और आर्थिक बोझ का कारण बनती रही है। ऐसे समय में आखरे परिवार का यह कदम सामाजिक सुधार की दिशा में एक बड़ा और सराहनीय प्रयास है।
इस दहेज-मुक्त विवाह ने यह संदेश दिया है कि यदि परिवार संकल्प ले लें, तो दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को आसानी से समाप्त किया जा सकता है। समाज में ऐसे सकारात्मक कदमों का स्वागत होना चाहिए, ताकि अन्य परिवार भी प्रेरित होकर दहेज मुक्त विवाह को बढ़ावा दें।
ग्राम अतरसमा निवासी गोविंद सारण के पुत्र शिवम के विवाद के दौरान उनके समधी ने शगुन के रूप में 11 लाख रुपये भेजे। जिन्हें सारण परिवार ने एक रुपये शगुन लेकर पूरे 11 लाख रुपये लौटा दिए। इसी प्रकार छोटी हरदा निवासी दूल्हे अमित जेवल्या ने एक रुपया और श्रीफल लेकर 7 लाख रुपये लौटा दिए।