खिरकिया। नवदुनिया न्यूज
शहर में मकान मालिकों द्वारा अपने किराएदारों की जानकारी पुलिस को नहीं दी जाती है। यही कारण है कि शहरी क्षेत्र में एक हजार से ज्यादा लोग किराए के मकान में निवास कर रहे हैं, लेकिन पुलिस रिकार्ड में बमुश्किल दो दर्जन ही नाम दर्ज हैं। पुलिस सत्यापन नहीं होने का फायदा उठाकर किराए के मकान में कई बार असामाजिक तत्व भी शहर में निवास कर लेते हैं। अपराध कर आसानी से फरार हो जाते हैं। लेकिन इनके खिलाफ पुलिस भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाती है। इसके चलते शहर में दिनों दिन किराएदारों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पुलिस ने लंबे समय से शहर के सभी वार्डो में किराएदारों की सूची तैयार नहीं की है। छीपाबड़ पुलिस ने बीते साल मार्च माह में किराएदारों का सत्यापन किया था। इसमें सिर्फ गांवों से पढ़ाई करने शहर में आकर रहने वालों की संख्या अधिक हैं। छात्र वर्ग के अलावा अन्य लोग पुलिस तक अपनी जानकारी नहीं पहुंचा रहे हैं। खिरकिया और छीपाबड़ में हजारों की संख्या में लोग किराए के मकानों में रहते हैं। लेकिन शहर में शत-प्रतिशत सर्वे नहीं होने से पुलिस का सत्यापन भी अधूरा ही है। साथ ही किराएदार और भवन मालिक के बीच अनुबंध भी नहीं होता है। सिर्फ आपसी बातचीत में ही किराया तय कर निवास शुरू कर दिया जाता है। जबकि किराएदार और भवन मालिक के बीच अनुबंध होकर उसकी प्रतिलिपि तहसील और नप दफ्तर में देना भी जरूरी होता है। इस नियम का भी भवन मालिक और किराएदार दोनों ही पालन नहीं कर रहे हैं।
अपराधियों तक आसानी से पहुंच सके पुलिसः नियमानुमार शहर में किराए से कमरा देने वाले भवन मालिक को अपने किराएदार का नाम, पता, मोबाइल नंबर के साथ आधार कार्ड, दो फोटो सहित अन्य दस्तावेज की एक-एक प्रति पुलिस थाना में जमाकर एक प्रति स्वयं के पास रखना चाहिए। इससे किराएदार अपराधी एवं असामाजिक तत्व होने पर उसका पता पुलिस आसानी से कर सकती है। साथ ही अपराध घटित होने पर अपराधी किराएदार पुलिस की पकड़ में आ सके।
टैक्स बचाने मकान मालिक नहीं कराते पुलिस सत्यापनः किराए का कमरा लेकर असामाजिक तत्व एवं अपराधी निवास कर अपराध न कर सकें। इसके लिए पुलिस द्वारा नागरिकों को अपने किराएदारों की सूचना पुलिस को देने, उनके दस्तावेज थाने में जमा कर सत्यापन कराने कहती है। साथ शांति समिति की बैठकों में मुद्दा उठने पर पुलिस नागरिकों को जानकारी देने प्रेरित करती है। फिर भी नागरिकों द्वारा अपने मकान में रहने वाले किराएदारों के नाम देने से परहेज किया जाता है। लेकिन टैक्स बचाने के लिए लोग किराएदारों का सत्यापन पुलिस में नहीं कराते हैं।
सत्यापन न कराना ऐसे है अपराध
0 आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत आने वाली धारा 144 यूं तो शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगाई जाती है। लेकिन इसी धारा के तहत ही मकान मालिक को आदेश रहता है, अपने घर में रहने वाले बाहरी लोगों और नौकर या कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन करवाएं।
0 आइपीसी धारा 188 के अनुसार सत्यापन नहीं कराने पर किसी को परेशानी होती है या फिर चोट लगती है तो एक माह का कारावास या 200 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं। इसके अलावा मानव जीवन, सुरक्षा व दंगे होते हैं तो छह माह की सजा या एक हजार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।
पुलिस ने शुरू की मुहिम
किरायेदारों का सत्यापन के लिए विशेष मुहिम 1 अप्रैल से शुरू की गई है। इस मुहिम के तहत मकान मालिक को अनिवार्य रूप से किरायेदार की सूचना निर्धारित प्रारूप में संबंधित थाने को सत्यपान कराने के लिए देनी है। हालांकि पहले सप्ताह में मकान मालिकों ने किरायेदारों की जानकारी देने में कोई विशेष रूचि नही दिखाई है।गुरुवार को पुलिस ने सार्वजनिक मुनादी कराकर मकान मालिकों को चेतावनी दी है कि किरायेदार की जानकारी नहीं देने पर कलेक्टर के आदेश का उल्लंघन संबंधी कार्रवाई की जाएगी।
वर्जन
भवन किराए से देने के साथ ही मालिक को किराएदार की जानकारी तत्काल पुलिस को दस्तावेजों के साथ देना चाहिए। सूचना नहीं देने वाले के खिलाफ केस दर्ज करने का प्रविधान भी है। एक मई से नए सिरे से सत्यापन कराएंगे। गैर जिम्मेदार मकान मालिकों पर धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
सुनील यादव, टीआइ, थाना छीपाबड़