खिरकिया। नवदुनिया न्यूज
शहर में लगे मोबाइल कंपनियों के टावर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। वहीं जनमानस के स्वास्थ्य के लिए भी बड़ा खतरा बन रहे हैं। शहरभर में ऐसे दो दर्जन से अधिक टावर लगे हुए हैं। आबादी क्षेत्र में इस तरह के टावर लगाने से पहले नगर परिषद सहित अन्य विभागों की अनुमति की आवश्यकता होती है। लेकिन कंपनियों द्वारा ऐसी किसी भी अनुमति के बिना ही ये टावर नगर की घनी आबादी क्षेत्र मे जगह-जगह लगा दिए गए है। शहर में कई कंपनियों के छोटे और बड़े टावर लगे हुए हैं। कुछ स्थानों पर तो ये टावर जमीन पर लगाए गए हैं। और कुछ मकानों की छत पर भी लगाए गए हैं। ऐसा करके कंपनियों द्वारा न केवल कानून का उल्लंघन किया गया है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा खतरा बना दिया है। कमाई के चक्कर में मकान मालिकों ने जहां नियमों की परवाह नहीं की। वहीं टावर लगाने वाली कम्पनियां भी सिर्फ अपना काम करने से मतलब रख रही है।
नगर परिषद के पास नहीं है टावरों की सूची
शहरीय क्षेत्र में लगे टावरों की नियमानुसार यूं तो नगर परिषद को जानकारी और रिकार्ड व अन्य दस्तावेज सत्यापित होने चाहिए। लेकिन नगर परिषद के पास इस संबंध में कोई भी जानकारी मौजूद नहीं है। जबकि किस कंपनी के टावर कहां कहां है, भूमि मालिक, उंचाई, रेंज, भवन मालिक, कालोनी, कृषि भूमि, टावरों की संख्या सहित टावरों के संबंधित जानकारी होनी चाहिए, लेकिन नगर परिषद के पास जानकारी मौजूद नहीं है। वहीं टावर लगाए जाने के लिए नगर परिषद की अनुमति होनी चाहिए, लेकिन कंपनियों की मनमानी से रहवासी क्षेत्र मे टावर खङे किए गए हैं।
रेडिएशन से होती है स्वास्थ्य हानि
मोबाइल टावरों से रेडिएशन निकलती रहती है। जो इंसान के शरीर के लिए काफी नुकसानदायक साबित होती है। यह बात चिकित्सक भी कहते है। अधिक समय तक रेडिएशन के सम्पर्क में आ जाने से कोई भी स्वस्थ्य इंसान असाधारण बीमारियों की चपेट में आ जाता है। रेडिएशन से दिमागी बीमारियों के अलावा त्वचा, हृदयघात सहित कई जानलेवा बीमारियां पैदा होने की संभावना रहती है। मोबाइल टावरों से निकलने वाली रेडिएशन काफी दूर तक के हिस्से को अपने प्रभाव में लेते हैं। इसलिए ये टावर आबादी से दूर होने चाहिए।
तंग गलियों में भी लगे हैं टावर
नगर की तंग गलियों में भी टावर लगे हुए हैं। जानकारी के अनुसार अगर किसी गली की चौड़ाई पांच मीटर से कम होती है, तो उसमे टावर नहीं लगाया जा सकता है। एक टावर के बीस मीटर के सामने तक कोई रिहायशी मकान नहीं होना चाहिए। जिस जगह मोबाइल टावर स्थापित किया जाना है, वो जगह खाली होना चाहिए। मोबाइल टावर से निकलने वाली इलेक्ट्रानिक बेव की रेंज कम होनी चाहिए। जिस भी भवन पर इसे लगाया जाना है, वह कम से कम पांच मंजिल की होनी चाहिए।
टावर लगाने के ये हैं नियम
0 कंपनी को अनुमति 5 वर्ष के लिए दी जाएगी। इसका नवीनीकरण प्रत्येक 5 वर्ष में कराना अनिवार्य होगा।
0 स्कूल, कॉलेज, पॉर्क, अस्पताल एवं जेल परिसर में अनुमति नहीं होगी।
0 स्थानीय निकाय को न्यूनतम 2 एमबीपीएस की कनेक्टिविटी।
0 मोबाइल टॉवर में हाईमास्क लाइट के साथ पुलिस विभाग की अपेक्षा पर सीसीटीवी कैमरे।
0 20 मीटर से अधिक ऊंचाई होने पर एयरपोर्ट अथारिटी से अनुमति।
0 प्रत्येक टॉवर के शीर्ष पर लालबत्ती, सिग्नल व तड़ित चालक लगाया जाएगा।
0 अग्निशमन उपकरणों का प्रबंध कंपनी को करना होगा।
0 किसी भी प्रकार की दुर्घटना या क्षति होने की स्थिति में संपूर्ण जिम्मेदारी सेवा प्रदाता कंपनी की होगी।
वर्जन
टावर के पांच मीटर के एरिया में 100 गुना ज्यादा रेडिएशन होता है। टावर पर जितने ज्यादा एंटेना लगे होंगे, रेडिएशन भी उतना ज्यादा होगा। रेडिएशन से थकान, अनिद्रा, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना, सिरदर्द, दिल की धड़कन बढ़ना, पाचन क्रिया पर असर, कैंसर का खतरा बढ़ जाना, ब्रेन ट्यूमर आदि रोग होने की संभावना ज्यादा रहने की आशंका बनी रहती है।
-डॉ आरके विश्वकर्मा, ब्लॉक मेडिकल आफीसर, खिरकिया
वर्जन
रहवासी क्षेत्र मे लगे टावरों के संबंध में जानकारी एकत्रित की जाएगी। टावर का संचालन नियम विरुद्ध करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई की जाएगी। सभी टावरों का भौतिक सत्यापन करा कर उन पर करारोपण किया जाएगा और संबंधित जमीन या भवनों को व्यवसायिक श्रेणी में लाया जाएगा।
-राजेंद्र श्रीवास्तव, सीएमओ, नप खिरकिया