
खिरकिया। नवदुनिया न्यूज
पुलिस सूदखोरों के खिलाफ न केवल कार्रवाई करेगी, बल्कि लोग भी सूदखोरों के चंगुल से कैसे बचें इसके लिए जागरूकता अभियान चलाएगी। अभियान की शुरुआत एक दिसंबर से हो चुकी है। पूरे दिसंबर महीने में इसके तहत गांव-गांव में नुक्कड़ नाटक का आयोजन कराया जाएगा। इसके अलावा पंपलेट्स, बैनर सहित अन्य माध्यमों से लोगों में सूदखोरों के प्रति जागरूकता लाई जाएगी। इस बात के संकेत नर्मदापुरम संभाग की आईजी दीपिका सूरी ने विगत दिनों खिरकिया प्रवास के दौरान दिए। हालांकि अवैध सूदखोरी करने वालों की जानकारी फिलहाल पुलिस के पास नहीं हैं। इसलिए पुलिस समस्या से निपटने के लिए शिकायत को आधार बनाएगी। बगैर लाइसेंसी सूदखोरों को लेकर सीएम शिवराजसिंह चौहान द्वारा दिए आदेश के बाद पुलिस ने यह निर्णय लिया है। बड़ी संख्या में लोग सूदखोरी के जाल में फंसे हुए हैं।
मजबूरी का फायदा उठाकर ज्यादा ब्याज पर देते हैं राशि
नगर सहित ग्रामीण इलाकों में ब्याज का धंधा बड़े स्तर पर फल-फूल रहा है। यहां सूदखोर लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें 10 से 20 फीसद मासिक तक का ब्याज वसूल कर रहे हैं। इसके लिए वे बाकायदा रुपये उधार लेने वाले से चेक व प्रामेसरी नोट बना लेते हैं। इसके आधार पर ब्याज नहीं भरने की स्थिति में कानून का फायदा उठाकर संबंधित को परेशान करते हैं। जानकारी के मुताबिक सागर क्षेत्र में ऐसे कई सूदखोर हैं जो बगैर लाइसेंस के गरीब व छोटे व्यापारियों को ब्याज पर रुपये देते हैं। बता दें कि खिरकिया नगरीय क्षेत्र में सिर्फ 15 लोग ही पंजीकृत साहूकार है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इस पेशे में दर्जनों लोग शामिल है।
अंग्रेजों के जमाने का है साहूकार अधिनियम
मध्यप्रदेश में अभी भी 1934 में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए साहूकार अधिनियम के तहत ही सूदखोरी पर नियंत्रण रखा जा रहा है। जाहिर सी बात है यह कानून अंग्रेजों के शासन काल में बनाया गया था। उस समय अंग्रेज आम भारतीय के हित के लिए नहीं सोचते थे। ऐसा ही साहूकार अधिनियम में भी देखने को मिलता है, मतलब यदि किसी को सूदखोरी का धंधा चालू करना है तो नगर परिषद में मात्र 500 रुपये में सहकारी लायसेंस मिल जाता है। साहूकारी अधिनियम के नियमों के तहत यदि कोई बिना रजिस्ट्रेशन के साहूकारी कर रहा है तो उस पर मात्र 200 रुपए का जुर्माना होता है। यदि उसने किसी को पैसा वापस लेने के लिए प्रताड़ित किया है तो उसे 3 माह का सामान्य कारावास हो सकता है। इससे ज्यादा कोई सजा नहीं है। ज्यादातर लोग साहूकारी का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाते हालांकि कानून में इस बात का प्रावधान है कि कोई भी गजटेड ऑफिसर रजिस्टर्ड साहूकार के खाते बही की जांच कर सकता है।
कितना ब्याज वसूल सकते हैं साहूकार
कानून के नियम कहते हैं कि यदि किसी ने कुछ गिरवी रखा है, तो केवल 6 फीसद सालाना ही साहूकार ब्याज वसूल सकता है। और यदि किसी ने कुछ भी गिरवी नहीं रखा है, तो यह रकम 12 फीसद तक सालाना ब्याज लिया जा सकता है। किसी भी स्थिति में साहूकार दोगुने से ज्यादा ब्याज नहीं वसूल सकता। कानून में यह बात स्पष्ट है लेकिन धरातल पर ऐसा नहीं होता और कर्जदार मूल रकम का कई गुने तक पैसा साहूकारों को पटाते हैं और कई बार पूरे जीवन लोग ब्याज ही पटाते रहते हैं और मूलधन कभी खत्म नहीं होता।
यह है साहूकारी नियम
- नपा में आवेदन पत्र लेकर फीस पैनकार्ड व शपथपत्र देना होता है।
- आवेदन की जांच के बाद नपा संबंधित को लाइसेंस जारी करती है।
- अगर कर्जदार रकम वापस नहीं करे तो साहूकार दादागिरी नहीं कर सकता।
- वसूली के लिए न्यायालय में वाद दायर करना होता है।
- बिना रजिस्ट्रेशन के ब्याज पर राशि देना अपराध की श्रेणी में आता है।
- दोषियों पर मनी लांड्री एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है।
वर्जन
कर्ज लेना और देना कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब यह सूदखोरी का जरिया बन जाता है तो इसका परिणाम दर्दनाक ही होता है। सूदखोर किसी को समस्या से निकालने के लिए नहीं, बल्कि अपने धन को दोगुना-तीन गुना करने के लिए कर्ज का धंधा चलाते हैं। यह हैरान करने वाली बात है कि अनेक कानूनी प्रावधान करने के बाद भी सूदखोरों का नेटवर्क इतना मजबूत हो चुका है कि अनेक क्षेत्रों में प्रशासनिक मशीनरी उन तक पहुंचने का साहस ही नहीं दिखा पाती। सूदखोरों की गैंग शहर से लेकर गांव तक फैली हुई है।
-शैलेंद्र राय, टैक्सेशन कंसल्टेंट, खिरकिया