आज के समय में महिला सशक्तीकरण की विशेष आवश्यकता है। बिना महिला सशक्तीकरण के देश का विकास रफ्तार नहीं पकड़ सकता। आदिवासी महिलाओं को सशक्त करने एवं जागरूक के उद्देश्य से सिनर्जी संस्थान द्वारा रहटगांव तहसील के 10 आदिवासी गांवों की स्वयं सहायता समूह की लगभग 40 महिला सदस्यों के साथ युवा संसाधन केंद्र, रहटगांव अंतर्गत दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में बडवानी, कैलझिरी, आमसागर, रैसलपुर, झल्लार, खात्माखेडा, डोंग, जवारधा, बोथी, आम्बा से महिलाएं शामिल हुईं। इस दौरान स्वयं सहायता समूह को मजबूत करने, घरेलु हिंसा, लैंगिक समानता, पोषण वाटिका एवं स्वास्थ्य स्वच्छता विषय पर महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। युवा संसाधन केंद्र समन्वयक रितेश गौर ने कहा कि महिलाओं को किसी भी प्रकार की हिंसा न तो सहना चाहिए और न ही उसका समर्थन करना चाहिए। किसी भी हिंसा का खुलकर विरोध करना चाहिए। अपने अधिकार के प्रति जागरूक होना चाहिए।
घरेलु हिंसा अधिनियम के बारे में जागरूक करते हुए गौर ने बताया कि कैसे महिलाएं अपने लिए निश्शुल्क विधिक सहायता प्राप्त कर सकती हैं। इसी के साथ उन्होंने लैंगिक समानता, बाल विवाह पर भी जानकारी दी। प्रशिक्षणकर्ता के रूप में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता अनीता पांडे एवं भावना प्रजापती शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि शिशुओं के प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर स्वास्थय, बाल पोषण, विद्यालय शिक्षा तथा बच्चों के टीकाकरण में आंगनबाड़ी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सिनर्जी संस्था के प्रतिनिधि पप्पू पवार ने महिलाओं को साथ आने व अपने समूह को मजबूत बनाने के लिए प्रेरित किया। प्रशिक्षण कार्यशाला में मोनिका परते, संजय काजले, पप्पू पवार, रितेश गौर का विशेष योगदान रहा।