नर्मदापुरम। नवदुनिया प्रतिनिधि
नर्मदानगरी में नागपंचमी का पर्व भक्तिभाव के साथ मनाया गया। शहर में नर्मदा तट के दोनों प्रमुख नागदेवता के मंदिर नागचंद्रेश्वर मंदिर कोठीबाजार व जगदीश मंदिर के पास नागेश्वर मंदिर में नागपंचमी के अवसर पर दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। स्व. पंडित प्रकाश चौरे के द्वारा बनाई गई परंपरा के तहत नर्मदेश्वर महादेव मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित नागचंद्रेश्वर के द्वार रात 12 बजे के बाद खोले गए, जो 24 घंटे के बाद 364 दिन के लिए बंद किए गए। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की तर्ज पर नर्मदा तट के नर्मदेश्वर महादेव मंदिर की तीसरी मंजिल की गुंबद पर बने प्रदेश के दूसरे नागचंद्रेश्वर मंदिर के द्वार वर्ष में एक बार नागपंचमी को ही 24 घंटे के लिए खोले गए। कोरोना के कारण दो वर्ष बाद नागपंचमी पर हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंदिर के प्रबंधक पंडित मीत चौरे ने बताया कि रात में 12 बजे द्वार खोल कर साफ-सफाई की गई। सुबह के समय पूजन अभिषेक किया गया। उसके बाद दर्शन करने वालों का क्रम शुरू हो गया। वहीं दूसरी ओर नागपंचमी का पर्व आज घर-घर भक्तिभाव से मनाया गया। घरों में ही नागदेवता की पूजन की गई।
सुबह मंदिर के पुजारियों और व्यवस्थापकों के अलावा श्रद्धालुओं के द्वारा पूजन अर्चन व दर्शन किए जा रहे थे। नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थापित 12 नाग-नागिन के जोड़ों का पूजन अर्चन अभिषेक के बाद सिंदूर से श्रृंगार करने के बाद आरती की गई। उसके बाद रात में एक वर्ष के लिए पट बंद कर दिए गए। यहां पर उज्जैन के महाकालेश्वर महादेव मंदिर की तर्ज पर साल भर में सिर्फ एक ही दिन द्वार खुलते हैं। दूसरी और सेठानी घाट के नाग मंदिर में भी पुजारी के द्वारा पूजन की गई। उसके बाद पट बंद कर दिए गए। लोगों ने शिवमंदिरों में भी पहुंच कर पूजन अर्चन की।
घरों में ही हुई विधि विधान से पूजन
नागपंचमी के अवसर पर परंपरागत रूप से शहर के अधिकांश श्रद्धालुओं ने अपने घरों में नागपंचमी पर नारियल की नरेली जलाकर उसकी राख में दूध मिलाकर उससे दीवार पर नाग की आकृति उकेरकर नाग की पूजन विधि-विधान से की। नागपंचमी के मौके पर शहर में अनेक घरों में महारुद्राभिषेक के साथ अनेक धार्मिक अनुष्ठान होते रहे। सुबह से ही नागपंचमी के पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह था। पूर्व वर्षों से चली आ रही परंपरा के तहत कई लोगों के घरों में चूल्हे पर तवा नहीं रखकर पूड़ी या दाल बाटी बनाकर नागदेवता को भोग लगाया।