नर्मदापुरम(होशंगाबाद) नवदुनिया प्रतिनिधि
नौतपा को ग्रहण की तरह समझने की जरूरत है। यह बात विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने कहते हुए बताया कि नौतपा विदाई बेला मे है।, तूफान और बादलों ने बाधा बनकर न लू चलने दी और न तपन को रिकार्ड बताया। नौतपा के आरंभ होते ही आम लोग ऐसी मानसिक तैयारी में जुट जाते हैं अब गर्मी तेज होगी। हर साल 25 मई से 2 जून तक की अवधि में घटित होने वाली नौतपा की खगोलीय घटना में जब बादल आ जाते हैं तो लगता है कि नौतपा बन गया नहीं तपा। सारिका घारू ने मॉडल की मदद से नौतपा का खगोल विज्ञान बताया। जिससे बताया कि जब सूर्य की परिक्रमा करते हुये 365 दिन बाद पृथ्वी उस स्थिति में आ जाती है जबकि सूर्य के पीछे वृषभ तारामंडल का स्टार रोहिणी आ जाता है तो इसके पहले नौ दिन नौतपा कहलाते हैं। सूर्य के पीछे रोहिणी तारा आने की यह घटना सन 1000 में 11 मई को हुआ करती थी। सन 1200 में 13 मई और सन 1400 में यह घटना 17 मई को आरंभ होती थी। संभवतः एक हजार साल पहले इस अवधि में भारत के मध्य भाग में तीव्र गर्मी होने से इसे नौतपा के रूप में नामकरण किया गया होगा। पृथ्वी के अक्ष के 26000 सालों में घूमने की प्रसेषन घटना के कारण यह लगभग हर 100 साल में रोहिणी के सामने आने की यह दिनांक आगे बढ़ती जा रही है। वर्तमान में 25 मई को होने लगी है।
सारिका ने बताया कि आने वाली पीढ़ियों के लिए नौतपा कम ही तपेगा क्योंकि रोहिणी के सीध में आने की घटना स्वतंत्रता प्राप्ति के 300 साल पूरे होने पर
2247 में 29 मई को आरंभ हुआ करेगा। समय के साथ यह जून के अंतिम सप्ताह और जुलाई में भी हुआ करेगा और तब संभवतः इसका नाम नौ तपा से बदलकर
नव वर्षा हो सकता है।