पिपरिया, नवदुनिया प्रतिनिधि। अनंत चतुर्दशी पर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भगवान गजानन के विसर्जन का सिलसिला सुबह से प्रांरभ हुआ जो देर शाम तक जारी रहा। भगवान गजानन को विदाई करने के लिए ढोल की थाप पर थिरकते हुए समिति सदस्य नजर आए, लेकिन समिति सदस्यों द्वारा कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया। ग्राम हथवास में कोरोना के चलते बहुत कम स्थानों पर भगवान गणेश की स्थापना की गई थी। गजानन की अंतिम विदाई के दौरान सड़कों पर श्रद्धालु भक्त व महिलाओं ने भगवान गजानन को अंतिम विदाई देते हुए अगले बरस तू जल्दी आ के जयकारे लगाए। देश में सुख, समृद्धि के साथ कोरोना की शीघ्र विदाई के लिए आशीर्वाद मांगा। ट्रैक्टर ट्राली, सहित निजी व दोपहिया वाहनों से श्रद्धालु गणपति बप्पा को लेकर मां नर्मदा के तट पहुंचे जहां पूजा अर्चना के साथ विर्सजन किया। शांति समिति की बैठक में निर्णय हुआ था कि विर्सजन के दौरान निकाले जाने वाले चल समारोह में पीली व लाल मिट्टी का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा। एवं कोरोना के नियमों का पालन किया जायेगा। प्रतिबंध का कोई असर समिति सदस्यों पर नजर नहीं आया। दिन भर निकलने वाले चल समारोह में शामिल सदस्यों ने जमकर मुख्य मार्गों पर पीली मिट्टी उड़ाई । लगातार बीते वर्षो से चल समारोह के दौरान पीली मिट्टी के उपयोग पर प्रतिबंध की बात कही जाती है, लेकिन प्रशसन समिति सदस्यों को मिट्टी का उपयोग रोकने में नाकाम रहा है।
कुंड में कम, तट पर ज्यादा विसर्जनः भगवान गणेश की मूर्तियों के विर्सजन के लिए हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी घाट पर मूर्तियां विसर्जित करने अस्थाई कुंड बनाया जाता है जिससे समिति सदस्य उसमें मूर्ति विसर्जित कर मां नर्मदा के जल को दूषित होने से रोक सके, लेकिन प्रशासन का प्रयास सफल नहीं हो सका। घाट पर पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में घाट पर बने अस्थाई कुंड में मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया गया। नर्मदा का जल स्तर बढ़ा होने से पुलिस ने विशेष निगरानी की।
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सोमवार से प्रारंभ होने जा रहे पितृ पक्ष, 16 दिन चलेंगे श्राद्ध कर्म
पिपरिया। श्राद्ध पक्ष सोमवार से प्रारंभ होने जा रहे हैं। भादों माह की पूर्णिमा से लेकर पितृमोक्ष अमावस्या तक 16 दिन पितृपक्ष रहता है। शास्त्रों के अनुसार इन 16 दिनों में लोग अपने पूर्वजों को जल अर्पण करते हैं तथा उनकी पुण्यतिथि पर श्राद्ध कर्म किया जाता है। माता-पिता व अन्य परिजनों की मृत्यु के बाद उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले कर्म को श्राद्ध कहा जाता है। श्राद्धपक्ष में पितरों का श्रद्धापूर्वक श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। तर्पण किसी नदी या जलाशय में किया जाता है। कोरोना गाइड लाइन के चलते लोगों ने घर पर ही तर्पण का निर्णय लिया है। श्राद्ध पक्ष 20 सितंबर से 6 अक्टूबर तक जारी रहेंगे। पितरों को जल तर्पण एवं होम करने से पितृ प्रसन्ना होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। लोग पितरों का तर्पण करने के लिए प्रयागराज एवं गया जी जाते हैं। जहां तर्पण से पितरों का उद्धार हो जाता है।