Shiv Temple In Mp नर्मदापुरम (नईदुनिया प्रतिनिधि)। विश्व प्रसिद्ध सेठानी घाट पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर श्री काले महादेव के नाम से जाना जाता है। श्री काले महादेव के नाम से विख्यात यह मंदिर 200 वर्ष पुराना है। नर्मदा तट के किनारे स्थित शिव मंदिरों में यह एक प्रमुख और चमत्कारी शिव मंदिर है।
यह मंदिर प्राचीन और अद्भुत मंदिर है, यहां गर्भगृह में विराजित शिवलिंग के पास से प्राचीन काल से ही ओम की ध्वनि सुनाई देती है। फर्श पर कान लगाने पर डमरू की आवाज भी सुनाई देती है। मान्यता है कि यहां शिवलिंग पर लेपित हल्दी को लगा लेने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस मान्यता के चलते दूर-दराज से भक्त भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं।
शृंगार करने वाले पं. सौरभ शर्मा, पं. कार्तिक शर्मा ने बताया कि शिवलिंग कितना प्राचीन है यह किसी को नहीं पता, लेकिन बुजुर्ग बताते हैं कि करीब 200 साल पहले से यहां मंदिर का अस्तित्व है, तब एक कच्चा मंदिर था। ऊपर टीन शेड था, साल 2013 की बाढ़ में शेड बह गया, तब समिति से जुड़े लोगों ने भव्य मंदिर के निर्माण का संकल्प लिया। श्रावण मास में मंदिर में काले महादेव के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़़ रही है।
काले महादेव मंदिर में प्रतिदिन महाकाल के बारह रूपों के दर्शन के लिए भीड़ आती है। प्रतिदिन महाकाल को देखने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर में समिति के सदस्य रात्रि जागरण करते हैं। नर्मदा जल से महादेव का जलाभिषेक होता है। कार्तिक शर्मा ने बताया कि सोमवार सुबह 4 बजे काले महादेव मंदिर में भस्मारती होती है। सुबह 7 बजे से 9 बजे महाअभिषेक, सुबह 11:30 बजे भोग आरती होती है।
हमारी श्री काले महादेव में गहरी आस्था है। पिछले कई वर्षों से यहां दर्शन के लिए आते हैं। यहां पूजा अर्चना के बाद ही उनकी दिनचर्या की शुरूआत होती है। चाहे लाख काम क्यों ना हो, मंदिर में गैरहाजिरी नहीं होती। काले महादेव के दर्शन से एक अलग ही अनुभूति होती है, सभी काम बन जाते हैं। मंदिर में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से पूजा-अर्चना व दर्शन करने आता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। किशोर उमरे, श्रद्धालु।
सावन माह में यहां महाकाल मंदिर की तर्ज पर प्रतिदिन भगवान शिव का विशेष शृंगार किया जाता है। कई बार मां नर्मदा की बाढ़ में भगवान शिव का जलाभिषेक मां नर्मदा खुद कर चुकी हैं। साल भर पूरे देश से घाटों पर आने वाले श्रद्धालु नर्मदा जल से जलाभिषेक करते हैं। पं. कार्तिक शर्मा, पुजारी।