राम कथा सुनने से आदर्श और संस्कार मिलते हैं-पं अखलेश्वरी देवी
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होशंगाबाद। राम कथा सुनने से व्यक्ति में आदर्श और संस्कार मिलते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का पूरा जीवन ही संस्कार और संस्कृति सिखाने वाला है। उनके द्वारा गुरु का मान सम्मान करना सिखाया गया है। उसके साथ भाई के साथ कै ंसा स्नेह करते हैं। यह सीख मिलती है। यह उदगार नर्मदा तट के खरखेड़ी टिगरिया के पटे घाट पर जारी 10दिवसीय श्रीरामकथा के चौथे दिन व्यासगादी से पं अखिलेश्वरी देवी ने व्यक्त करते हुए राम कथा के अंतर्गत पुष्पवाटिका और राम विवाह की कथा की सुंदर प्रस्तुति देते हुए अनेक भजन की प्रस्तुति की। उन्होने चौपाई पढते हुए कहा कि 'समय जान गुरु आयुष पाई, लेन प्रसून चले दोउ भाई'जनकपुर में भगवान राम और लक्ष्मण जी ने गुरु से आज्ञा लेकर पुष्पवाटिका पहुंच कर गुरुजी के लिए पूजन के लिए पुष्प लेने पहुंचे। जहां पर जनक दुलारी सीता जी देवी जी का पूजन करने के आई हुई थी। वहां पर सीता जी और राम जी का मिलना होता है। दोनों एक दूसरे को देखते हैं। उसके बाद महाराज जनक के द्वारा सीताजी के स्वंवर के लिए धनुषयज्ञ का आयोजन कि या जाता है। जिसमें रामजी धनुष को भंग कर देते हैं। इस प्रकार रामजी और सीता जी का विवाह हो जाता है। राम और सीता के विवाह की कथा के दौरान सुमधुर गीत की प्रस्तुति ने आसपास से आए हजारों दर्शकों का मन मोह लिया।
सभी की मंगलकामना के लिए हो रहा यज्ञ
श्रीराम कथा के साथ ही सुबह की पाली में कथा स्थल के पास ही नीचे पटेघाट के बाजू में नर्मदा तट पर बनी विशाल यज्ञ शाला में 80श्रद्धालु और11पंडितों के द्वारा09कु ंडीय श्रीरामचरित मानस महायज्ञ में सभी की मंगलकामना के लिए आहुतियां छोडी जा रही है। यह पूरा आयोजन मां नर्मदा के अनन्य भक्त संत श्री ब्रम्मानंद उदासीन के द्वारा अथक मेहनत की जाती है। यहां पर चौमासा में रामचरित मानस का अखंड पाठ कि याा जाता है। उसके समापन अवसर पर श्रीराम कथा और रामचरित मानस महायज्ञ का आयोजन कि या जाता है। इस धार्मिक अनुष्ठान में पूरा क्षेत्र तनमनधन से जुड़ता है।