बलराम शर्मा। नर्मदापुरम (होशंगाबाद)
मंदिरों के शहर नर्मदापुरम में अनेक मंदिर अपनी अलग ही विशेषताएं लिए हुए हैं। ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर दत्त मंदिर जो शहर से तीन किलोमीटर दूर खर्राघाट के पास बना हुआ है। यह मंदिर 1973, 1999 सहित अनेक बढ़ी बाढ़ को झेल चुका है। फिर पुरानी मजबूती यथावत बनी हुई है। इस मंदिर की विशेषता है कि यहां पर एक मुखी दत्त भगवान की प्रतिमा विराजमान है। जहां पर हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा दत्त जयंती के मौके पर बड़ी संख्या में महाराष्ट्र प्रांत के श्रद्धालु आकर पूजन अर्चन और मन्नाते पूरी होने पर भंडारे का आयोजन करते हैं।
बिठूर से आए थे संतः मंदिर के पुजारी वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि उप्र से एक संत स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती 100 वर्ष पूर्व उप्र बिठूर से यहां आए थे। उन्होंने गंगा नदी के तट पर रहने वाले एक ब्राह्मण को चर्म रोग होने पर उसे ठीक करते हुए उसका रोग अपने ऊपर ले लिया था। उन्हें चर्म रोग हो गया था। तब उन्हें स्वप्न में गंगा जी ने दर्शन देकर कहा था कि नर्मदा के दक्षिण तट पर जाकर स्नान करने से चर्म रोग ठीक हो जाएगा। तब उन्होंने खर्राघाट के पास दक्षिण तट पर मां नर्मदा में मार्गशीर्श की पूर्णिमा पर स्नान किया था, उनका चर्मरोग ठीक होने पर वे यहां गूलर के पेड़ के पास आकर तपस्या करने लगे।
200 प्राचीन है गूलर का पेड़ः दत्त मंदिर ट्रस्ट के मुखिया मधुकर राव हरणे और मंदिर के पुजारी पंडित वीरेंद्र शर्मा बताते हैं कि महान संत स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने 100 पूर्व शहर से दूर इस सुनसान क्षेत्र में आकर 100 वर्ष पुराने गूलर के पेड़ के नीचे तपस्या की थी। उसके बाद इस स्थान को अपना आश्रम बना लिया था। उसी समय से उनके अनुयायी यहां पर दत्त जंयती पर आते हैं। स्वामी जी के भाई सीताराम आर्य ने यहां पर आकर मंदिर बनवाया था। इस तरह करीब 200 वर्ष पुराना गूलर का पेड़ आज भी मंदिर के सामने स्थित है।
आज होगा भंडाराः दत्त मंदिर में महाराष्ट्र प्रांत से कई परिवार आ चुके हैं, जो दो दिन से पूजन पाठ में लगे हुए हैं। उनके द्वारा आज मंदिर परिसर में भंडारा आयोजित किया जाएगा।