इटारसी (नवदुनिया प्रतिनिधि)। राजपूत कुल शिरोमणि महाराजा महाराणा प्रताप जयंती की पूर्व संध्या पर जयस्तंभ चौक पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में देश के जाने-माने कवियों ने मां और भारत माता के सम्मान में कविता पढ़ी। समाज द्वारा महाराणा प्रताप जयंती पर दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए गए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राजपूत महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर राघवेंद्र सिंह तोमर, एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी, एसडीओपी महेंद्र सिंह चौहान, भरत सिंह राजपूत, दर्शन सिंह चौधरी, राहुल सिंह सोलंकी उपस्थित थे। मंच से रामप्रताप सिंह भदावर ने वीर रस की ओजपूर्ण कविता का पाठ करते हुए कहा कि हमारी भूमि से हमें भगाया जा रहा था, हमारे मान को नंगा नचाया जा रहा था, हमारे घर मशालों से जलाए जा रहे थे, नंगी देह पर भाले चलाए जा रहे थे, हाथियों से हमें कुचला मिटाया जा रहा था, हमें कायर बताया जा रहा था, अरे उस काल में अड़ते नहीं तो क्या करते, कोई बतलाए हम लड़ते नहीं तो क्या करते, कोई घास खा करके जिया, सिर उठा करके, कोई चीरा गया बीच से जिंदा लिटा करके, किसी कंचनी काया जला डाली है जौहर में, किसी ने मुंड कटवाए है माटी की धरोहर में, स्वाभिमानी सिंह से चलते थे सीना ठोक के, और भय रखते थे महाराणा जूतियों की नोक पे, दिखती जहां क्रूरता राणा वही ललकारते, क्रूरता पर वीरता ध्वज गाड़ते, क्रूरता आई थी जो अफगान से ईरान से, टकराते ही मिट्टी हो गई थी वीर राजस्थान से, मैं वो कायर नहीं जो युद्ध में हथियार डाले
देखकर विध्वंस अपनी आंख पर पट्टी चढ़ा ले, बनना है तो युवा साथियों भारत की तकदीर बनो, धर्म ध्वजा की रक्षा करने, पार्थ के तीखे तीर बनो
त्याग समर्पण देशभक्ति की एक नई बुनियाद बनो, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद बनो। इस कविता का पाठ वीर रस के कवि सुमित ओरछा ने किया तो श्रोता उन्हें सुनते रह गए और कविता सुनकर श्रोताओं ने कई बार तालियों से उन्हें सम्मान दिया।
कवि दिनेश देशी घी ने श्रोताओं को गुदगुदाते हुए कहा कि एक बेवकूफ कहता है, मेरी गर्दन पर छुरी रख दो तो भी मैं भारत माता की जय नहीं बोलूंगा, उन्होंने कहा मां, महात्मा और परमात्मा इन तीनों की महिमा न्यारी है, और इन तीनों में मां सबपे भारी है।
लक्ष्मण नेपाली ने मजाकिया अंदाज में कविता करते हुए गहरे महत्व की बातें कही। उन्होंने कहा काजल से भी काला मेरा कल बना देना, अरे चाहो तो मुश्किल भरा हर पल बना देना, मगर नंगे पांव निकले मां मेरी घर से, अरे मेरी ख्वाहिश है, उसके पैर की चप्पल बना देना। संचालन कर रहे वरिष्ठ कवि शशिकांत यादव और श्रृंगार रस की कवियत्री रुचि चतुर्वेदी ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम में लखन बैस, शैलेंद्र सिंह, बलदेव सिंह सोलंकी, मनीष ठाकुर, मोती सिंह राजपूत, परेश सिंह सिकरवार, नीरज सिंह चौहान, गोल्डी, बैस, विकास पवार, आशीष सोलंकी, बादल ठाकुर, बबली ठाकुर, नितेश राजपूत, राम राजपूत, सौरभ सिंह, मोहन सोलंकी, जवाहर सिंह राजपूत, शैलेंद्र सिंह राजपूत, शेलेन्द्र सिंह, धर्मेश सिंह सोलंकी, भूपेंद्र सिंह राजपूत, तीरथ सिंह राजपूत मौजूद रहे।
शस्त्रा पूजा के बाद निकाली शौर्य यात्रा
महाराणा प्रताप जयंती के तहत सोमवार दोपहर शस्त्र पूजा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राजपूत समाज के युवाओं ने शामिल होकर पहले मां भगवती की पूजा अर्चना की इसके बाद शस्त्र की पूजा की गई। शस्त्र पूजा के बाद शाम को शौर्य यात्रा निकाली गई जो फ्रेंडस स्कूल में प्रारंभ होकर मुख्य मार्गो से होते हुए संपन्ना हुई। सिंधी समाज, सिक्ख समाज, विप्र समाज ने शोभायात्रा का स्वागत किया।