धनुष यज्ञ,सीता स्वंवर और परशुराम लक्ष्मण संवाद की लीला ने मन मोहा
-रामचरित मानस महायज्ञ, राम कथा और श्रीरामलीला में उमड़ रहे श्रद्धालु
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22एचओएस-
के प्शन-नर्मदा तट पर जारी श्रीराम लीला के तहत धनुष यज्ञ परशुराम की लीला का आयोजन हुआ।
होशंगाबाद। नर्मदा तट के खरखेड़ी टिगरिया के पटेघाट पर जारी श्रीराम चरित मानस महायज्ञ,श्रीराम कथा और श्रीरामलीला के तहत बीती रात धनुष यज्ञ परशुराम लक्ष्मण संवाद की लीला का आकर्षक मंचन कि या गया। भगवान भोलेनाथ के मंदिर और विशाल पीपल और वट वृक्ष के नीचे बने रामलीला स्टेज पर धनुष यज्ञ की लीला का जोरदार मंचन कि या गया। जिसमें सीता स्वयंवर की प्रभावी प्रस्तुति की गई। लीला के अंतर्गत महाराजा जनक के पास भगवान शिव का दिव्य धनुष था। वह महल में स्थापित था। वहां उसे कोई नहीं डिगा सकता था। एक दिन अपने घर में जमीन को लीपने के दौरान जनक नंदनी सीता ने धनुष को उस स्थान से हटा कर उस स्थान पर भी लीप दिया। इसे देखकर जनक महाराज को बहुत आश्चर्य हुआ तब उन्होने सोच लिया कि इस पुत्री में कोई अलौककि शक्ति है। राजा जनक ने निश्चय कि या कि सीता का विवाह ऐसे पराक्रमी से कि या जाएगा जो भगवान शिव के पिनाक नामक धनुष को भंग करेगा। तभी जनकपुर में सीता के स्वयंवर का आयोजन कि या गया। उक्त शर्त की घोषणा सुनकर दूर दराज क्षेत्र से पराक्रमी राजा धनुष यज्ञ में शामिल हुए। विश्वामित्र के साथ राम लक्ष्मण भी स्वयंवर सभा में पहुंचे। रंगमंच पर धनुष को सजा कर रखा गया। अनेक देश के राजाओं ने आकर स्वयंवर में धनुष को उठाने की कोशिश की लेकि न कि सी से धनुष डिगा तक नहीं। यहां तक कि राजा रावण भी धनुष यज्ञ में शामिल हुए। वह भी धनुष को नहीं हिला सका। उसने वहां पर घोषणा की भले वह सीता को स्वयंवर में प्राप्त नहीं कर पाया लेकि न एक ना एक दिन वह लंका जरुर ले जाएगा। राजा जनक चिंतित होने लगे तभी लक्ष्मण उत्तेजित हो जाते हैं। तब गुरु की आज्ञा पाकर भगवान राम ने धनुष को भंग कर देते हैं। सीता जी रामजी को वर माला डाल देती है। इस लीला ने हजारों ग्रामीणजनों को भाव विभोर कर दिया।
क्रोधित होते हुए आए परशुराम
जब धनुष भंग की जानकारी भगवान परशुराम को मिली तो वे क्रोधित होकर जनक की सभा में पहुंच गए। वहां उन्होने आक्रोश जाहिर कि या। यज्ञ में मौजूद सभी राजा परशुराम के क्रेाध से डर रहे थे। इस लीला के साथ ही परशुराम और लक्ष्मण का जोरदार संवाद चलता है। जिसने दर्शकों का मन मोह लिया। लक्ष्मण और परशुराम में काफी देर तक तीखे प्रहार होते हैं। इस दौरान दोनों पात्रों के द्वारा राधेश्याम रामायण की रोचक प्रस्तुति दी गई। तभी परशुराम जी को आभास होता है कि धनुष को भंग करने वाला कोई दिव्य पुरुष ही होगा। तव वे अपने धनुष की प्रत्यंचा चढाने को कहते हैं। तभी रामजी जी प्रत्यंचा चढा देते है। तब परशुरामजी का क्रोध शांत हो जाता है। रामलीला में संगीत की प्रस्तुति के साथ ही अनेक प्रसंग पर गीत संगीत की प्रस्तुति गायक कलाकारों के द्वारा दी गई। इस दौरान रामलीला में व्यास की भूमिका नरेंद्र गिरि गोस्वामी, के साथ ही द्वारका प्रसाद गौर व अनिल राठौर मनोज गौरएलखन गिरि, सतीश गिरी,गणेश राठौर, के शव गौर, देवांश पाठक, भगवान राम प्रयाश गौर,सीताजी भवन्त राठौर,के अलावा अन्य अनेक कलाकारों में कै लाश मालवीय,हरि गिरि गोस्वामी, प्रताप गौर,अखिलेश गोस्वामी,सतीश गोस्वामी, महेंद्र गौर ने सहित अन्य कलाकार शामलि है। रामलीला देखने के लिए, दूर दूराज ग्रामीण क्षेत्र से भी श्रद्धालु शामिल हुए।