28एचओएस16 - पिपरिया।
पिपरिया। सौरमंडल के सबसे सुंदर ग्रह शनि का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक अजीब सा डर देखने को मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनि का प्रभाव मानव जीवन पर अवश्य पडता है। शनि ग्रह हीलियम और नाइट्रोजन से मिलकर बना है। सौर मंडल का यह दूसरा सबसे बड़ा ग्रह होने के बाद भी नकारात्मक भूमिका के लिए ज्यादा जाना जाता है। शनि ग्रह के डर को दूर करने के लिए विज्ञान प्रसारक सारिका घारु ने शनि ग्रह के बारे में रोचक जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि सूर्य से लगभग 140 करोड कि लोमीटर दूर शनि ग्रह को सूर्य का एक पूरा चक्कर लगाने में लगभग 30 वर्ष का समय लगता है। सूर्य के चारों और 360 डिग्री के आकाश को 12 तारामंडल में बांटा जाए तो 30 डिग्री के हर एक तारामंडल को पार करने में शनि को लगभग ढाई वर्ष का समय लगता है। हाल ही में शनि धनु तारामंडल से आगे बढकर मकर तारामंडल के सामने आ गया है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार शनि सूर्य का चक्कर लगाते समय 7 तारामंडल पर इसका प्रभाव हर समय रहता है। जिसके अनुसार दुनिया भर के लगभग 65 प्रतिशत लोग शनि से प्रभावित रहते हैं। जिसमें 3 पर साढ़े साती दो पर ढइया और दो पर नजर मानी जाती है। एक व्यक्ति के जीवन में शनि का लगभग तीन बार प्रभाव का सामना करना पड सकता है। सूर्य से प्रकाश शनि तक पहुंचने में लगभग 80 मिनिट लगते हैं। शनि के वलयों की खोज में निकला मानव निर्मित अंतरिक्ष यान 2004 से 2017 तक लगातार 294 बार परिक्रमा लगाता रहा । जिस पर शनि की नाकारात्मकता का कोई प्रभाव नहीं हुआ । जिससे यह सिद्ध होता है कि शनि एक सुंदर ग्रह है। शनि का एक दिन पृथ्वी के 10 दिन 7 घंटे के बराबर होता है। इसका एक साल पृथ्वी के 10 हजार 756 दिन बराबर होता है। यह सूर्य की एक परिक्रमा पृथ्वी के 29 वर्ष 4 माह में पूरी कर पाता है। अब तक शनि के 82 चंद्रमा की खोज की जा चुकी है। शनि का आकार पृथ्वी से 9 गुना बड़ा एवं इसकी त्रिज्या 58232 कि लोमीटर है। इसमें 7 वलय है। जो इस ग्रह को वेहद सुंदर बना देते हैं। लोगों को शनि ग्रह को समझने की जरुरत है न कि सहमने की ।