
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले में 12 आरोपितों को इंदौर जिला न्यायालय ने दोषी मानते हुए सजा सुनाई है। दूसरों की जगह मेडिकल परीक्षा देने पहुंचे इन मुन्नाभाइयों को इंदौर जिला न्यायालय ने पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। शनिवार को अपर सत्र न्यायाधीश (सीबीआई) शुभ्रा सिंह के कोर्ट ने इस मामले में निर्णय देते हुए टिप्पणी भी की कि ये अपराध सिर्फ कानून के विरुद्ध ही नहीं है बल्कि योग्य छात्रों के भविष्य के साथ भी अन्याय करने वाला है। कोर्ट ने सभी दोषियों को सश्रम कारावास के साथ एक-एक हजार का अर्थदंड भी सुनाया है। सजा पाने वाले ज्यादातर उच्च शिक्षित और मेडिकल पृष्ठभूमि से हैं।
24 जुलाई 2011 को प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) की परीक्षा के दौरान शासकीय उत्कर्ष विद्यालय में परीक्षा देने पहुंचे सत्येंद्र वर्मा को पकड़ा गया था। वह असल अभ्यर्थी आशीष यादव की जगह उसी के प्रवेश-पत्र पर परीक्षा देने आया था। शासकीय उत्कर्ष विद्यालय के उपप्राचार्य की शिकायत पर तुकोगंज पुलिस ने केस दर्ज किया था। मामले की जांच के दौरान जानकारी मिली थी कि कई और भी लोग थे, जो परीक्षा देने आए थे। इसकी जांच के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामला सीबीआइ को सौंपा गया था।
सीबीआई ने अलग-अलग 13 लोगों को आरोपित बनाया। फिर सीबीआइ कोर्ट में चालान पेश किया था। इनमें से एक आरोपित नाबालिग भी था। लिहाजा उसका चालान अलग से जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में पेश हुआ था, जहां उसे अर्थदंड की सजा हुई थी। शेष 12 आरोपितों के मामले की सुनवाई न्यायालय में लंबी चली। शनिवार को विशेष अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाया। मामले के सभी आरोपित इंदौर के बाहर के हैं, और वे सभी अपने स्वजन के साथ कोर्ट पहुंचे थे। कोर्ट ने जब फैसला सुनाया, उस समय सभी कोर्ट में मौजूद थे, जबकि उनके स्वजन बाहर थे।
दोषी पाए गए 12 आरोपितों में आशीष सुरेश यादव, सत्येंद्र संतराम वर्मा, धीरेंद्र रामराज तिवारी, ब्रजेश सुरेशचंद्र जैसवाल, दुर्गा प्रसाद रमाकांत यादव, राकेश बंशीलाल कुर्मी, नरेंद्र लीलाराम चौरसिया, अभिलाष गुलाब यादव, खुबचंद ब्रजभूषण राजपूत, पवन चरण राजपूत, लखन शोभाराम धनगर, सुंदर शोभाराम धनगर का नाम शामिल हैं। इनमें 11 आरोपित उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। इनमें सुंदर और लखन सगे भाई हैं।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान जैसे ही सजा की बात आई, विशेष सतर्कता बरती गई। सजा सुनाए जाने के बाद कोर्ट रूम के दरवाजों को बंद कर दिया गया, ताकि कोई भी दोषी भाग न पाए। साथ ही अतिरिक्त पुलिस बल भी बुला लिया गया। यही नहीं, उन्हें जेल भेजने के पहले की सारी तैयारी भी कोर्ट रूम में ही की गई, इस दौरान कोर्ट परिसर के बाहर गाड़ी लगा दी गई। और कोर्ट रूम से ही सीधे सभी 12 आरोपितों को जेल भेज दिया गया।
जिन लोगों को शनिवार को सजा हुई उनमें भिंड के डा. नरेंद्र चौरसिया का नाम भी शामिल है। नरेंद्र ने अपने नाबालिग भांजे की जगह पैसे देकर धीरेंद्र तिवारी को परीक्षा में बैठाया था। लखनऊ में रहकर इंटर्नशिप कर रहे उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में रहने वाले धीरेंद्र की तीन साल बाद गिरफ्तारी हुई थी। उसने पूछताछ में डॉ. चौरसिया की जानकारी दी थी।
जब चौरसिया को गिरफ्तार किया गया था, उस समय वो जेल में ही बंद था। उप्र के मउ में रहने वाला दुर्गाप्रसाद यादव और बलिया के ब्रजेश जैसवाल मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। यादव गाजियाबाद में वेटनरी डाक्टर के तौर पर काम कर रहा था। जैसवाल गोरखपुर में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था।