विनय यादव, नईदुनिया, इंदौर। मध्य प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर इंदौर, रीवा, जबलपुर और ग्वालियर में सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल खोले गए थे। इनका उद्देश्य है मरीजों को शासकीय अस्पतालों में ही आधुनिक इलाज की सुविधा मिल सके ताकि उन्हें दूसरे राज्यों में इलाज के लिए नहीं जाना पड़े। लेकिन कुछ ही वर्षों में इन अस्पतालों की स्थिति खराब हो गई है। यहां से डॉक्टर पलायन कर रहे हैं। चारों सुपर स्पेशिएलिटी अस्पतालों से अब तक 41 डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं। इनमें जबलपुर से 13, इंदौर से 11, रीवा से 10 और ग्वालियर से सात डॉक्टर शामिल हैं।
डाक्टरों की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें आधुनिक इलाज से वंचित होना पड़ रहा है या फिर इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। डाक्टरों के जाने के कारण संसाधनों की कमी, प्रमोशन का न होना, बेहतर अवसर, कम वेतन आदि हैं। यहां के डॉक्टर निजी प्रैक्टिस भी नहीं कर सकते। डाक्टरों का कहना है कि ज्वाइनिंग के समय जो वादे किए गए थे, वे पूरे नहीं हुए। यहां से छोड़कर जाने वाले सभी डॉक्टर अभी बड़े निजी अस्पतालों में कार्यरत हैं।
डाक्टरों की कमी का सीधा असर अस्पतालों की सेवाओं पर पड़ रहा है। सुपर स्पेशिएलिटी अस्पतालों में करीब 60 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। यानी आधे से ज्यादा विभाग अधूरे स्टाफ के भरोसे चल रहे हैं। इससे सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को हो रही है। कैंसर, न्यूरो, कार्डियक जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज प्रभावित हो रहा है। कई बार मरीजों को कहा जाता है कि विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए उन्हें बाहर इलाज करवाना पड़ता है।
स्वास्थ्य मंत्री और उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल भी अपने ही जिले में डाक्टरों का पलायन नहीं रोक पा रहे हैं। रीवा स्थित सुपर स्पेशिएलिटी अस्पतालों में सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे तो हो रहे हैं, लेकिन यहां इलाज के लिए पर्याप्त डॉक्टर ही नहीं हैं। रीवा से ही 10 डॉक्टर नौकरी छोड़कर चले गए हैं।
जबलपुर- 13
इंदौर- 11
रीवा- 10
ग्वालियर- 7
रीवा सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल
एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े सभी अस्पतालों में भर्ती प्रक्रिया चल रही है। सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में भी डॉक्टर सहित अन्य पदों पर भर्तियां की जा रही हैं। यहां नर्सिंग स्टाफ का भी ट्रांसफर किया गया है। जल्द ही भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। हमारा प्रयास है कि मरीजों के बेहतर इलाज की सुविधाएं मिलें। -डॉ. अरविंद घनघोरिया, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज