इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। शहर से महज तीस किमी दूर नयापुरा वनक्षेत्र में 10 जुलाई 2020 को एक तेंदुए को घायल हालत में वन विभाग ने रेस्क्यू किया। चिड़ियाघर में इलाज के ढ़ाई महीने बाद तेंदुए का सिटी स्कैन हुआ, जिसमें सिर और चेहरे पर 42 छर्रें लगाना सामने आया। बेंगलुरु से भी वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट और वेटरनरी डाक्टर ने भी तेंदुए का स्वास्थ्य परीक्षण किया। जहां उन्होंने छर्रें निकालने से तेंदुए की मौत होने की आशंका जताई।
एक्सपर्ट के मुताबिक छर्रें तेंदुए के शरीर के अंदर धस चुके हैं। सर्जरी बिना भी तेंदुआ जीवित रह सकता है। फिर अक्टूबर में वन विहार में तेंदुए को शिफ्ट किया। यहां उसका नाम इंदर रखा गया। देखभाल और प्रशिक्षण की बदौलत तेंदुए को दोबारा जीने की चाहता जागी। इन दिनों ढाई हैक्टेयर में फैले बाड़े में इंदर को रखा है। जहां जंगल की तरह इंदर (तेंदुआ) फिर एक बार दहाड़ना और घुर्राना सीख चुका है। इन दिनों इंदर की तस्वीरें जमकर वायरल हो रही है।
बाड़े को दिया जंगल का स्वरूप
वन विहार में आने के बाद तेंदुआ काफी सदमे (डिप्रेशन) में था। हाउसिंग यानी पिंजरे से बाहर तक नहीं आता था। फिर स्टॉफ ने तेंदुए की मानसिक हालत को समझने की कोशिश की। वेटरनरी डॉ. अतुल गुप्ता के मार्गदर्शन में तेंदुए की हलचल पर नजर रखी गई। केयर टेकर एसएन गारे की आवाज को पहचाने लगा। महीनेभर के भीतर उसने घुर्राना शुरू किया। ये देखकर डाक्टर ने यूट्यूब पर पहले उसे गाने सुनाए। बाद में बाकी दूसरे जंगली जानवरों की आवाज से परिचय करवाया, जिसमें 20-25 दिन लग गए। बाद में पिंजरे के प्रत्येक कोने में भोजन रखने लगे। महीनेभर बाद मादा तेंदुए के पास वाले बाड़े में इंदर (तेंदुए) को शिफ्ट किया। बाड़े में जंगल का वातावरण देने के उद्देश्य से पेड़ बनाया। आंखों की रोशनी खोने के बाद भी इंदर पेड़ पर चढ़ जाता है। इसके लिए तीन महीने का प्रशिक्षण किया है। इन दिनों वह पूरी तरह स्वस्थ है।
ऐसा रहा घटनाक्रम
-9-10 जुलाई 2020 की दरम्यानी रात में नयापुरा में घायल तेंदुए की सूचना मिली। इंदौर रेंज व रेस्क्यू टीम ने चिड़ियाघर पहुंचाया।
-दो महीने तक जांच अधिकारी ग्रामीणों की कहानी पर भरोसा करते रहे। ग्रामीणों के मुताबिक टेरेटरी यानी वनक्षेत्र को लेकर दो तेंदुओं के बीच आपसी लड़ाई होना बताया।
- 20 सितंबर को तेंदुए का सिटी स्कैन किया। 42 छर्रें लगना बताया। इस बीच इंदौर रेंज ने अज्ञात शिकारी के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया।
- अक्टूबर 2020 में एसडीओ राकेश लहरी को जांच सौंपी, जिन्होंने सिटी स्कैन फिल्म को फारेंसिक लैब की मदद से गोली के आकार का पता लगाया। साथ ही काल डिटेल रिपोर्ट भी निकाली। उसमें भी जिन संदिग्धों से पूछताछ चल रही थी। उन पर शक जताया।
- 10 अक्टूबर 2020 को तेंदुए को भोपाल स्थित वन विहार में शिफ्ट कर दिया। मगर इंदौर वनमंडल के तत्कालीन एसडीओ संदीप गौतम सहित कुछ अधिकारी इसके पक्ष में नहीं थे।
- नवंबर 2020 में एसटीएसएफ को जांच सौपी, जिन्होंने संदिग्धों से सख्ती से पूछताछ नहीं की। कुछ एसटीएसएफ के अधिकारी इन संदिग्धों को बचाने में लगे रहे।
- जनवरी से फरवरी 2021 के बीच तेंदुए की जांच में लापरवाही की शिकायत वन व पर्यावरण मंत्रालय, वाइल्ड लाइफ कंट्रोल ब्यूरो, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ तक अधिवक्ता अभिजीत पांडे ने की।
- 7 मार्च को शिकायत के बाद मंत्रालय ने पूरे प्रकरण पर एसटीएसएफ इंदौर शाखा से जवाब भी मांगा।
- 28 मार्च 2021 में इंदौर रेंज के घड़िया गांव में कुछ जंगली सूअर मारने वाले शिकारी को पकड़ा। इंदौर रेंज की पूछताछ के बाद एसटीएसएफ ने शिकारियों से पूछताछ की। दबाव के चलते एसटीएसएफ मुख्यालय से भी एक टीम इंदौर पहुंची। बाद में अधिकारियों ने केस बंद करने के चक्कर में इन्हें ही तेंदुए को गोली मारना बताया।
मुश्किल लगा था बचना
तेंदुए को जब वन विहार में लाया गया तो उसके बचने की उम्मीद कम थी। आंखों से दिखना बंद हो चुका था। शरीर कमजोर हो गया था। हमने धीरे-धीरे उसकी हरकत को समझा। उसके आधार पर ट्रेनिंग देना शुरू किया। केयर टेकर और डाक्टर ने कई बार की ट्रेनिंग दी। पिंजरे के बाद बाड़े से इंदर का परिचय करवाया। अब वहां के वातावरण में इंदर पूरी तरह ढल चुका है।
अशोक कुमार जैन, एसडीओ व सहायक निदेशक, वन विभाग