99 वर्षीय सेवानिवृत लेफ्टिनेंट कर्नल ओंकार दिखित नहीं रहे
लेफ्टिनेंट ओंकार ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में होलकर सेना के फर्स्ट इंदौर इंफ्रेंटी(स्टेट फोर्सेज) में कमीशन प्राप्त किया था।
By gajendra.nagar
Edited By: gajendra.nagar
Publish Date: Wed, 19 May 2021 03:17:15 PM (IST)
Updated Date: Wed, 19 May 2021 03:17:15 PM (IST)

इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश के वरिष्ठतम सेवानिवृत अफसर कर्नल ओंकसिंह दिखित का निधन का मंगलवार को सैन्य अस्पताल में निधन हो गया। 23 अगस्त को उनको सौ वर्ष पूरे होने वाले थे। उनके भतीजे सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर संजय दिखित के अनुसार वे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ होने के कारण एमएच महू में भर्ती थे। उम्र से संबंधित बीमारियों के अनियंत्रित होने के कारण वे चल बसे। लेफ्टिनेंट ओंकार ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में होलकर सेना के फर्स्ट इंदौर इंफ्रेंटी(स्टेट फोर्सेज) में कमीशन प्राप्त किया था। फिलहाल यह भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट की 15वीं बटालियन है उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल मंगल सिंह दिखित ने भी इस पलटन का नेतृत्व किया था और कर्नल ओंकार का बचपन इसी पलटन में गुजरा था। आजादी के बाद वे गोरखा रेजिमेंट में ले लिए गए थे और उन्होंने 11वीं गोरखा रेजिमेंट की दूसरी पलटन (2/11 जी आर) की स्थापना की थी।
11वीं गोरखा रेजिमेंट का युद्ध घोष (बैटल क्राई) 'जय महाकाली आयो गोरखाली" उन्हीं की देन है। 1950 के दशक में वे संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के साथ इंडो चाइना में भी पदस्थ थे। उनके छोटे भाई मेजर अजीत सिंह दिखित 1961 में अपनी गोरखा पल्टन के साथ संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के साथ कांगो अफ्रीका में पोस्टिंग के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। उनकी छोटी बहन स्वर्गीय प्रोफेसर हेमलता दिखित इंदौर और मालवा की बहुत लोकप्रिय शिक्षिका थीं।