
इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। सुरों का संग लिए एक खुशनुमा शाम बीते दिनों शहर में सजी। ‘पर्व संगीत समूह’ नाम से आयोजित हुई इस सुरिली सभा में 1950-60 के दशक के चुनिंदा गीतों को सुनने का मौका सुगम संगीत के शौकिनों को मिला। प्रेस क्लब के सभागृह में आयोजित हुई संगीतमयी शाम की शुरुआत सुरों की देवी सरस्वती की आराधना से हुई। इसके बाद फिल्म सीमा का गीत ‘तू प्यार का सागर है’ सुनाकर सुरों की सभा को गति दी गई। इस गीत में मुख्य स्वर द्वारका प्रसाद दुबे का था जिनका कोरस पर अन्य कलाकारों ने साथ दिया।
उभरती कलाकार निधी सिन्नरकर ने ‘मुझे किसी से प्यार हो गया, हम थे जिनके सहारे’ सहित कई गीत सुनाए तो सोनम जोशी ने ‘तेरा मेरा प्यार अमर, मैं तो तुम संग नैन मिला के हार गई सजना’ जैसे कालजयी गीतों को बहुत ही मधुरता से पेश किया और श्रोताओं की दाद बटोरी। सचिन लोटारकर ने अपने गीतों में मोहम्मद रफी की गायकी को बखूबी पेश करते हुए श्रोताओं से वाहवाही लूटी। वहीं मधुर आवाज के धनी मुकेश के गीतों ‘कई सदियों से कई जन्मों से, चांद आहें भरेगा’ की एकल प्रस्तुति दी तो सोनम के साथ ‘दिल तडप-तड़प के दे रहा हैं सदा’ गीत सुनाया तो निधी के साथ ‘जाने न नजर पहचाने नजर’ सुनाते हुए कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।
सुरेश भीटे ने ‘यादें न जाये बीते दिनों की’ और ‘आज कल मे ढल गया’ गीत सुनाया। इन्होंने भी युगल प्रस्तुतियां देते हुए निधी के साथ ‘मुझे कितना प्यार हैं तुमसे’ गीत सुनाया तो सोनम के साथ ‘यह दिल तुम बिन लगता नहीं’ सुनाकर सभी का दिल जीत लिया। अविनाश पाटील, रजनी सिन्नरकर के गीत भी खूब पसंद किए गए। संगीत संयोजन रवि सालके का था। संचालन प्रवीण गाढे ने किया।