इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि )। शहर में 400 स्थानों पर सघन पौधारोपण कर नगर निगम 'अहिल्या वन" बनाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए शहर हर वार्ड में पांच प्रमुख स्थानों पर पौधे लगाए जाएंगे। इनमें कुछ उद्यान व रिक्त भूमि को शामिल किया जाएगा। यहां पर नागरिकों की सुविधा के लिए ईको फ्रेंडल हट व पक्षियों के लिए छोटे कुंड भी तैयार किए जाएंगे। निगम द्वारा जोन नंबर सात व आठ में अहिल्या वन के लिए 12 स्थानों का चयन किया गया है।
बुधवार को सिटीबस आफिस कार्यालय परिसर में में निगम के उद्यान विभाग की बैठक हुई। इसमें अपर आयुक्त ऋषव गुप्ता, उपायुक्त लोकेन्द्रसिंह सोलंकी, अधीक्षण यंत्री दिलीपसिंह चौहान, उद्यान अधिकारी चेतन पाटिल व अन्य अधिकारी उपस्थित थे। इसमें उद्यान विभाग द्वारा शहर में किए जाने वाले विकास कार्यों और वर्षा ऋतु को ध्यान में रख पौधारोपण व सघन वन तैयार करने के निर्देश दिए।
बारिश को आकर्षित करने वाले पौधे लगाएंगे - शहर में सघन वन विकसित करने के साथ वर्षा को आकर्षित करने वाले पौधे लगाए जाएंगे। इनमें महागुनी, टिबुबिया, सिरस, सितवन, पीपल, जामुन, मोहनी, कटहल, कदम, चंपा एवं चितवन आदि शामिल हैं।
पक्षियों के छोटे कुंड व नागरिकों के लिए ईक्रो फ्रेंडली हट बनाएंगे - शहर में एक हेक्टेयर या उससे ज्यादा क्षेत्रफल के रिक्त मैदान व उद्यानों को अहिल्या वन के रूप में तैयार करने की योजना हैं। इनमें जैव विविधता को विकसित कर पक्षियों के आकर्षण के लिए वहां छोटे कुंड का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा वहां ईको फ्रेंडल हट भी तैयार किए जाएंगे। अहिल्या वन में घूमने आने वाले रहवासियों, वरिष्ठ नागरिकों एवं छोटे बच्चों के लिए 1.5 से 2.5 मीटर चौड़ा मुरम से निर्मित प्राकृतिक वाकिंग ट्रैक बनाया जाएगा। इसके अलावा इन स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग का प्रविधान भी किया जाएगा।
फूलदार पौधे के साथ वानिकी प्रजाति के लगाएंगे पौधे - अहिल्या वन के तहत निर्धारित इन स्थानों को चारों ओर से बाउंड्रीवाल से कवर किया जाएगा और इनके किनारों पर वाकिंग ट्रैक भी तैयार किए जाएंगे। यहां पहली पंक्ति में फूलदार पौधे जाएंगे। इसके पश्चात शेष हिस्से में वानिकी प्रजाति के पौधे लगाकर नवीन जैव विविधता (इकोसिस्टम) बनाया जाएगा। इससे शहर में वर्षा का प्रतिशत बढ़ेगा और तापमान में स्थिरता आएगी। इन स्थलों पर पौधों से निकलने वाली पत्तियों के ग्रीन वेस्ट से खाद बनाने के लिए कम्पोस्ट पिट का भी निर्माण किया जाएगा। यहां तैयार होने वाली खाद का उपयोग इसी क्षेत्र में होगा।