इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Child Welfare Indore। बच्चों के अधिकारों का पूरा संरक्षण किया जाए। यह प्रयास करें कि कोई भी बच्चा अपने वाजिब हक से वंचित नहीं रहे। बच्चों के अधिकारों के संरक्षण और उनके कल्याण के लिए सभी विभाग साझा प्रयास करें। कोरोनाकाल के दौरान जिन बच्चों ने अपने माता या पिता को खोया है, उन्हें भी सहायता दी जाएगी। इंदौर आए मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य बृजेश चौहान ने यह बात कही। उन्होंने रेसीडेंसी कोठी पर संबंधित अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में उन्होंने बच्चों की शैक्षणिक, कोरोना से उत्पन्न स्थिति में उनके प्रभावित होने की स्थिति, बाल श्रम उन्मूलन, बच्चों के स्वास्थ्य आदि के बारे में अधिकारियों से चर्चा की।
उन्होंने इंदौर जिले में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए बच्चों के लिए की जा रही व्यवस्थाओं की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए न्यूनतम 20 प्रतिशत बेड अस्पतालों में आरक्षित रहे। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. बीएस सैत्या ने बताया कि इंदौर जिले में माताओं और बच्चों के लिए पर्याप्त संख्या में बेड आरक्षित रखे गए हैं। सभी प्रमुख अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं। आयोग के सदस्य ने कहा थानों में प्राथमिकता से बच्चों की सुनवाई हो। थानों पर नियुक्त बाल कल्याण अधिकारी पूर्ण जवाबदारी से मानवीय संवेदना के साथ काम करें। बच्चों की समस्याओं के निराकरण के लिए इन अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में प्रभावी प्रयास किए गए। कोरोनाकाल में जो बच्चे शिक्षा गतिविधि से दूर हो गए हैं, ऐसे बच्चों को चिन्हित कर पुन: सक्रिय रूप से जोड़ा जाए। जिला शिक्षा अधिकारी मंंगलेश व्यास ने शिक्षा की गतिविधियों से बच्चों जो जोड़ने के प्रयासों की जानकारी दी। बैठक में निर्देश दिए गए कि कोई भी बच्चा शाला त्यागी नहीं रहे। जिन बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है, उन्हें चिन्हित कर उनका नाम स्कूल में पुन: दर्ज करवाएं। सभी स्कूलों में पालक, शिक्षक संघ की बैठकें अनिवार्य रूप से कराई जाएं। फीस के लिए कोई भी स्कूल मनमानी नहीं करें। पालक भी नियम अनुसार फीस जमा करवाएं।बैठक में अपर कलेक्टर आरएस मंडलोई, एएसपी मनीषा पाठक सोनी सहित अन्य अधिकारी, बाल कल्याण समिति के सदस्य, जेजे बोर्ड और चाइल्ड लाइन के सदस्य आदि उपस्थित थे।