Indore News: जैसे हमारे कर्म होंगे, स्वर्ग और नरक के टिकट भी वैसे ही कटेंगे
Indore News: प्राचीन हंसदास मठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति द्वारा तर्पण एवं पितृ मोक्षदायी भागवत। श्राद्ध पर्व भले ही सोलह दिन का होता है, लेकिन हमें अपनी श्रृद्धा पूरे वर्ष और पूरे जीवनभर व्यक्त करते रहना चाहिए।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Wed, 21 Sep 2022 11:42:08 AM (IST)
Updated Date: Wed, 21 Sep 2022 11:42:08 AM (IST)

Indore News इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। भगवान द्वारा बनाई गई इस सृष्टि में अपने पितरों और पूर्वजों को मोक्ष एवं परमलोक तक पहुंचाने की पात्रता केवल मनुष्यों को ही मिली हुई है, पशु-पक्षियों को नहीं। यह दुर्लभ अवसर केवल मनुष्यों को ही प्राप्त है कि वह सदकर्म अपनाकर अपने पूर्वजों को सदगति दिला सके। श्राद्ध पक्ष के सोलह दिनों में यह मान्यता है कि हमारे पितर धरती पर ही रहते हैं। यह उनके लिए कुंभ पर्व होता है। हम उनके प्रति जितनी श्रद्धा व्यक्त करेंगे, जितना सम्मान देंगे और जितनी सेवा करेंगे, वे उतने ही अधिक प्रसन्न होंगे। हमारे कर्म दया, धर्म और परमार्थ से प्रेरित होना चाहिए, क्योंकि इन कर्मों के आधार पर ही हमारे स्वर्ग या नरक का टिकट कटेगा।
यह बात भागवातचार्य पं. पवन तिवारी ने बड़ा गणपति स्थित हंसदास मठ पर कही। वे श्रद्धा सुमन सेवा समिति के तत्वावधान में चल रहे तर्पण अनुष्ठान एवं पितृ मोक्षदायी भागवत कथा में सम्बोधित कर रहे थे। हंस पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य में तर्पण अनुष्ठान में 600 से अधिक साधकों ने भाग लिया। समाजसेवी योगेंद्र महंत, पुरुषोत्तम मेढ़तवाल, एके पुंडरिक, भगवती प्रसाद कुमावत, विनय जैन, अनिल सांगले, हनुमान प्रसाद सारड़ीवाल आदि ने प्रारंभ में पं. तिवारी एवं साधकों का स्वागत किया।
तर्पण के दौरान शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों, गोमाता एवं होलकर राजवंश के दिवंगत शासकों के लिए भी मोक्ष की कामना की गई। दोपहर में सनेहीलाल- गेंदीदेवी गोयल की पुण्य स्मृति में पितृ मोक्षदायी भागवत कथा में बाबूलाल- गोदावरी गोयल परिवार के सदस्यों के साथ आयोजन समिति के मोहनलाल सोनी, हरि अग्रवाल, राजेंद्र गर्ग, जगमोहन वर्मा, कमल गुप्ता, राजेन्द्र सोनी ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा में मनोहारी भजनों पर थिरकने का सिलसिला पहले दिन से ही जारी है।
संध्या को आरती में डॉ. जूही गोयल, जवाहर शर्मा, सुरेन्द्र संतोष गोयल, नारायण अग्रवाल आदि ने भाग लिया। संचालन जगमोहन वर्मा एवं राजेन्द्र सोनी ने किया। पितृ मोक्षदायी भागवत में 22 को गोवर्धन पूजा, 23 को रूक्मणी विवाह एवं 24 को सुदामा चरित्र के साथ समापन होगा। रविवार 25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के उपलक्ष्य में तर्पण के लिए हंसदास मठ पर विशेष व्यवस्था की जाएगी।
पं. तिवारी ने कहा कि श्राद्ध पर्व भले ही सोलह दिन का होता है, लेकिन हमें अपनी श्रृद्धा पूरे वर्ष और पूरे जीवनभर व्यक्त करते रहना चाहिए। शास्त्रों ने भी इस संहिता को मान्यता दी है कि हम अपने पूर्वजों के प्रति जितना अधिक सेवा भाव रखेंगे, उनकी प्रसन्नता उतनी ही बढ़ेगी। हमारे अपने बच्चे भी हमें देखकर हमारे लिए भी यही भाव रखेंगे। दान-पुण्य, कथा श्रवण और सेवा जैसे सदकर्मों से ही हमारे भविष्य का निर्धारण होगा। मनुष्य को इसीलिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है कि वह अपने पूर्वजों को सदगति दिला सकता है।