इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। प्रतिवर्ष सावन के पहले सोमवार को महेश्वर से नर्मदा का जल लेकर महाकालेश्वर तक निकलने वाली सात दिवसीय 180 किमी दूरी वाली बाणेश्वरी कावड़ यात्रा इस बार जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित मापदंडों के आधार पर ही तय की जाएगी। सांवेर रोड़ स्थित मौनी बाबा आश्रम पर आयोजित बैठक में सर्वानुमति से यह निर्णय लेते हुए तय किया गया कि पिछले 18 वर्षों की परंपरा को कायम रखा जाएगा और यदि प्रशासन की अनुमति मिली तो सांकेतिक कावड़ यात्रा निकाली जाएगी जिसमें केवल 21 सदस्य शामिल होकर भगवान महाकालेश्वर का नर्मदा के जल से अभिषेक कर कोरोना की तीसरी लहर से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करेंगे।
बाणेश्वरी कावड़ यात्रा से जुड़े प्रमुख भक्तों की बैठक यात्रा संयोजक गोलू शुक्ला की अध्यक्षता में हुई। बैठक में सभी सदस्यों से प्राप्त सुझावों एवं विचारों के आधार पर निर्णय लिया गया कि इस बार कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए कावड़ यात्रा जिला प्रशासन की अनुमति से ही अनुकूल वातावरण होने पर निकाली जाएगी। यदि प्रशासन की अनुमति मिली और माहौल ठीक रहा तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल हो सकेंगे लेकिन यदि विपरीत हालात रहे तो 21 सदस्य सांकेतिक कावड़ यात्रा निकालकर भगवान महाकालेश्वर का जलाभिषेक करेंगे और उनसे समूचे विश्व को कोरोना की तीसरी लहर से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करेंगे। इस दौरान यात्रा मार्ग पर आने वाले गांवों और कस्बों में पौधारोपण, रामायण पाठ एवं आम लोगों से कोरोना वैक्सीन लगवाने तथा कोरोना गाइड लाइन का पालन करने का आग्रह भी किया जाएगा। बैठक दीपेंद्रसिंह सोलंकी, कमल शुक्ला, गोविंद अवस्थी, पार्षद दिलीप मिश्रा, गोविंद पंवार, अशोक शर्मा, राजू यादव, जीवन कश्यप, जगजीवन बाबा, छन्नू दीक्षित, राजू यादव, बबलू गागरे, भरत वर्मा, नारायणसिंह चौहान, अमर गोयनका, शिवशंकर यादव सहित अनेक सहयोगी बंधुओं ने अपने सुझाव रखें।
बैठक में प्रशासन द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन करने का निर्णय भी लिया गया। इस अवसर पर कोरोना महामारी के दौरान दिवंगत हुए कावड़ यात्रा के साथियों के प्रति श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई। यात्रा संयोजक गोलू शुक्ला ने बताया कि बाणेश्वरी कावड़ यात्रा में प्रतिवर्ष लगभग पांच हजार साथी शामिल होते हैं। यदि कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंस, फेस मास्क और सेनेटाईजेशन जैसे उपायों का पालन किया जाए तो श्रध्दालुओं को काफी परेशानियां आएंगीं। कांधे पर नर्मदा के जल से भरी कावड़ लेकर पूरे रास्ते बोल बम के उद्घोष एवं जोशीले नारों की अभिव्यक्ति फेस मास्क लगाने से संभव नहीं होगी। इसी तरह हर पड़ाव पर सैनिटाइजेशन करना भी संभव नहीं होगा। समूह में चलने का आनंद भी सोशल डिस्टेंस के कारण बाधित ही होगा, इसलिए इस बार भी यात्रा को स्थगित रखते हुए अधिकांश साथियों की राय थी कि सांकेतिक कावड़ यात्रा निकाली जाए जिसमें प्रशासन से अनुमति लेकर 21 श्रध्दालु महेश्वर से कावड़ लेकर महाकालेश्वर पहुंचकर सभी श्रध्दालुओं की ओर से जलाभिषेक करें।