इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जीवन में भक्तों को कृष्णमय हो जाना चाहिए। भक्ति के मार्ग पर हमेशा चलें और भगवान का प्रतिदिन स्मरण करें। जीवन में कभी अहंकार नहीं करना चाहिए। असत्य का मार्ग छोड़कर सत्य का मार्ग अपनाएं। सच्चे मन से जो मनुष्य भागवत श्रवण करता है उसे जरूर मोक्ष मिलता है। भगवान के उत्सव में जो व्यक्ति सम्मिलित होता है, उनके जीवन में मंगल ही मंगल होता है। जीवन में समर्पण भाव जरूर होना चाहिए ।
यह बात भागवताचार्य रुक्मणी देवी ने सूर्यदेव नगर में कही। वे मधुसूदन दास महाराज की पुण्यतिथि में लक्ष्य महिला मंडल द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में रुक्मणी विवाह के अवसर पर संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि कथा के आखिरी दिन कथा सुनने से सात दिनों की कथा सुनने का पुण्य मिलता है। भगवान कृष्ण ने भागवत के माध्यम से मानव को जीवन जीने की कला सिखाई है। भगवान ने हर परिस्थिति का सामना करना सिखाया है। भागवत के माध्यम से भगवान कृष्ण के दिखाए मार्ग पर चलने से जीव का कल्याण निश्चित है।
कृष्ण-रुक्मणी विवाह में झूमीं महिलाएं - लक्ष्य महिला मंडल की वर्षा जोशी ने बताया कि कथा में महामंडलेश्वर लक्ष्मणदास महाराज के सान्निध्य में श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। विवाह प्रसंग के दौरान जैसे ही कृष्ण और रुक्मणी ने एक दूजे को वरमाला पहनाई, समूचा कथा स्थल भगवान के जयघोष से गूंज उठा। पंडाल में मौजूद महिलाएं थिरक उठीं। भक्तों ने पुष्प वर्षा कर उत्सव का आनंद लिया। विवाह से पहले बरात बड़ी धूमधाम से निकली गई । इसमें महिलाएं नाचते-गाते हुए शामिल हुई ।कथा में कोरोना के नियमों का पालन किया जा रहा है। कथा में बड़ी संख्या में भक्त मोजूद थे। प्रतिदिन भक्तों को महाप्रसादी का वितरण किया जा रहा है। कथा के समापन के बाद 28 फरवरी को हवन पूर्णाहुति की जाएगी।