
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। रेल यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए शासकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) नई पहल शुरु करने जा रही है। जिसका नाम है - हमारी सवारी, भरोसे वाली। पुलिस ने ऐसे रिक्शा चालकों का डिजिटल डेटा बनाया है जो रेलवे स्टेशन से चलते है। ऑटो पर क्यूआर कोड भी लगाया जा रहा है। जिसे स्कैन करते ही उसकी संपूर्ण पहचान मोबाइल पर आ जाएगी।
पुलिस अधीक्षक (रेल) पद्मविलोचन शुक्ल के अनुसार सवारियों की सुरक्षा और सुविधा में ऑटो चालकों का अहम रोल है। बाहर से आने वाले यात्री कईं बार चालकों की शिकायत करते है पर उनके संबंध में जानकारी नहीं रहती। इन सबको देखते हुए पुलिस ने रेलवे स्टेशन परिसर से संचालित होने वाले ऑटो चालकों की डिजिटल डेटा तैयार करवाया है। पुलिस ने चालकों का सत्यापन एवं पंजीकरण कर उनके नाम, मोबाइल नंबर, वाहन संख्या, फोटो और परिवार व रिश्तेदारों की जानकारी आदि का डेटाबेस तैयार कर किया है।
पुलिस रिकॉर्ड में पंजीकृत ऑटो रिक्शा पर क्यूआर कोड स्टीकर लगाया जाएगा। जिसे स्कैन करते ही चालक की पहचान और मोबाइल नंबर मिल जाएगी। एसपी के अनुसार यात्री यह जान सकेगा कि उसका चालक कौन है और वह किस ऑटो रिक्शा में सफर कर रहा है। उसका सामान छुटने, विवाद होने, तय स्थान पर न छोड़ने पर पुलिस से मदद भी ले सकते है। एसपी ने बताया इस अभियान की शुरुआत 14 नवंबर से होगी। इससे चालकों को भी बेवजह के इल्जामों से राहत मिलेगी।
जीआरपी पुलिस ने पटरी की पाठशाला की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य रेल सुरक्षा, महिला सुरक्षा, साइबर जागरूकता, नैतिक शिक्षा एवं नशामुक्त जीवन के संदेश को आमजन तक पहुंचाना है। इससे स्थानीय बच्चों में नैतिक शिक्षा, अनुशासन और जिम्मेदारी का भाव विकसित होगा। 'पटरी की पाठशाला' अभियान में बच्चों के लिए रेल सुरक्षा कक्षाएं, कहानी, पोस्टर व खेल के माध्यम से शिक्षा देना, गुड टच-बैड टच की जानकारी देना शामिल किया है।
रेलवे स्टेशन और उसके आसपास भिक्षावृत्ति, व्यावसायिक गतिविधियों में लगे व लावारिस घूमने वाले बच्चों की पहचान कर उन्हें संरक्षण, शिक्षा और पुनर्वास की दिशा में आगे बढ़ाया जाएगा ताकि वे देश के भविष्य निर्माण में सहभागी बन सकें। महिला एवं साइबर सुरक्षा सत्र में हेल्पलाइन नंबरों (139,112, 1930) की जानकारी के साथ आत्मरक्षा एवं आत्मविश्वास पर भी चर्चा होगी।