Bhopal Gas Tragedy : इंदौर, अनिल त्रिवेदी। जैक्री कफिन बहुचर्चित फिल्म 'मेरीकॉम' में जर्मन बॉक्सिंग कोच के रूप में नजर आए थे तो 'हाउसफुल 3' में उन्होंने ब्रिटिश फुटबाल कोच की अहम भूमिका निभाई थी। 'परमाणु' और 'टाइगर जिंदा है' फिल्मों में भी उनके निभाए गए रोल दर्शकों को याद हैं। वो 'चंद्रशेखर, बोस : डेड ऑर अलाइव, महाकुंभ' और 'स्टोरीज ऑफ रवींद्रनाथ टैगोर' जैसे सीरियल्स में भी अहम भूमिकाएं निभा चुके हैं और उनके नाटक 'बगदाद वेडिंग' नेशनल मेटा का बेस्ट प्ले अवार्ड भी मिल चुका है। अमेरिकी मूल के कलाकार जैक्री कफिन हिंदी के अलावा अंग्रेजी, तमिल, कन्नाड़, फ्रेंच और स्पेनिश फिल्मों में भी अपने एक्टिंग हुनर का प्रदर्शन कर चुके हैं।
बहुमुखी प्रतिभा संपन्न जैक्री एक कार्यक्रम के सिलसिले में रविवार सुबह शहर में थे। नईदुनिया से खास चर्चा में उन्होंने कहा कि घुमंतू प्रवृत्ति के चलते मैं दुनिया के करीब 30 देशों में घूम चुका हूं लेकिन भारत आकर मुझे लगा कि यहां के अधिकांश लोग सहज और सरल प्रवृत्ति के हैं। वो जैसा सोचते हैं वैसा बोलते हैं और जैसा कहते हैं वैसा करते हैं। हालांकि अपवाद हर जगह होते हैं लेकिन इतने सारे देशों में घूमने के अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि दुनिया में भारत जैसे अच्छी सोच के नागरिकों वाले मुल्क बहुत कम हैं।
'भोपाल गैस त्रासदी' पर फिल्म बनाने भारत आए
करीब 8 साल पहले मुझे भोपाल गैस त्रासदी के बारे में पता चला, जिसमें गैस रिसने से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हो गई थी और कई जिंदगी भर के लिए अपंग हो गए थे। मुझे लगा कि ये बहुत सेंसटिव इशु है। क्योंकि इस तरह की कंपनियां अमूमन दुनिया के हर बड़े शहर में काम कर रही हैं और वहां कभी भी भोपाल जैसे हालात बन सकते हैं। अपनी फिल्म के जरिए मैं उन कारणों की तह में जाकर लोगों को सावधान करना चाहता था ताकि लोग जागरूᆬक हों और इस तरह के हादसों से मानवता दोबारा त्रस्त न हो।
मगर यहां कुछ ऐसे लोगों से मुलाकात हुई, जिन्होंने मुझे एक्टिंग के लिए कुछ प्ले और फिल्में ऑफर कीं। जिनमें से कई प्ले 'पृथ्वी थिएटर' में भी हुए। इस तरह मैं डायरेक्शन और राइटिंग के बजाय एक्टिंग में ज्यादा सक्रिय हो गया और मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट बीच में ही अटक गया। लेकिन ये तय है कि मैं जब भी अपनी कंपनी के बैनर तले पहली फिल्म बनाऊंगा उसका सब्जेक्ट भोपाल गैस त्रासदी ही होगा।
सफल होने के लिए अपने काम का लुत्फ उठाएं
फिल्मों और थिएटर के साथ-साथ कई सीरियल्स में भी एक्टिंग का हुनर दिखा चुके जैक्री सिनेमा को लार्जर देन लाइफ, टीवी सीरियल्स को स्मालर देन लाइफ और थिएटर सिमिलर एज लाइफ मानते हैं। इसलिए वो कहते हैं कि थिएटर कहीं न कहीं मेरे दिल के ज्यादा नजदीक है। इसकी सबसे बड़ी खूबी ये है कि आपको अपने काम का रिस्पांस उसी वक्त ऑडिटोरियम में ही मिल जाता है। नए कलाकारों को मेरी एडवाइज है कि अपने काम का लुत्फ उठाते हुए परफॉर्म करेंगे तो इस फील्ड में जरूर सफल होंगे। हमेशा याद रखिए कि एक ही जिंदगी में कई किरदारों की लाइफ जीने का मौका एक सिर्फ कलाकार के हिस्से में ही आता है।
संभल कर बात करें फिल्मी पॉलिटिशियन
न्यूयॉर्क के 'स्टेला एडलर एक्टिंग स्टूडियो' से एक्टिंग की फॉर्मल ट्रेनिंग लेने वाले जैक्री कहते हैं कि आमतौर पर कलाकार संवेदनशील व्यक्तित्व के होते हैं। इसलिए वो मझे हुए राजनीतिज्ञ की तरह अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में कभी-कभी चूक जाते हैं। जोश-जोश में कभी-कभी वो ऐसे बयान भी दे देते हैं, जिनसे उनके फैंस एक पर्टिकुलर ग्रुप के इमोशंस हर्ट होते हैं। मेरा मानना है कि अगर कोई कलाकार राजनीति में जाए तो उसे बहुत सोच-समझकर अपनी बात संभलकर करनी चाहिए।
बार-बार आना चाहूंगा इंदौर
इंदौर के अलावा मैं भोपाल, मुंबई, बेंगलुरू, गोवा समेत भारत के कई हिस्से विजिट कर चुका हूं। लेकिन इंदौर आने के पहले ही मैंने इस शहर के बारे में इतना कुछ सुन रखा था कि यहां आने के लिए खासतौर पर उत्साहित था। हालांकि मुख्य शहर का थोड़ा सा ही हिस्सा देख सका हूं, लेकिन मैंने जो भी एरिया विजिट किया है उसके आधार पर कह सकता हूं कि इंदौर वाकई स्वच्छता के मामले में नंबर वन होने का हक रखता है। यहां के खान-पान के बारे में भी मैंने बहुत सुना है। ऐसे में मैं निश्चित रूप से यहां बार-बार आना चाहूंगा।