
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। साल 2025 इंदौर के लिए साइबर अपराध के लिहाज से सबसे चुनौतीपूर्ण वर्षों में शामिल रहा। निवेश फ्राड, डिजिटल अरेस्ट, अंतरराष्ट्रीय ई-मेल स्कैम, क्रिप्टो ठगी और मोबाइल हैकिंग जैसे मामलों ने हजारों लोगों को चपेट में लिया। ठगों के तरीके जितने नए और खतरनाक रहे, उतनी ही अहम रही पुलिस की त्वरित कार्रवाई और नागरिकों की जागरूकता, जिसने कई परिवारों को आर्थिक तबाही से बचा लिया।
84 वर्षीय प्रोफेसर से 1.70 करोड़ की ठगी
देश में सीनियर सिटीजन से हुई अब तक की सबसे बड़ी साइबर ठगी इंदौर में सामने आई। शेयर मार्केट में मोटे मुनाफे का लालच देकर ठगों ने बुजुर्ग प्रोफेसर को फर्जी वॉट्सएप ग्रुप और एप के जरिए 10 अलग-अलग खातों में नौ किश्तों में 1 करोड़ 70 लाख 45 हजार रुपये ट्रांसफर करवा लिए। बैंक मैनेजर की सतर्कता से क्राइम ब्रांच तक मामला पहुंचा, लेकिन तब तक अधिकांश राशि निकल चुकी थी। यह गैंग नोएडा, गुजरात और राजस्थान से ऑपरेट कर रही थी।
इंदौर की एक कंपनी को अमेरिका स्थित सप्लायर का फर्जी ई-मेल भेजकर 4.15 लाख डॉलर (करीब 3.72 करोड़ रुपये) ट्रांसफर करवा लिए गए। समय रहते साइबर सेल और बैंक की त्वरित कार्रवाई से खाते फ्रीज कर पूरी राशि बरामद कर ली गई। यह केस बताता है कि सही समय पर सूचना देने से बड़े नुकसान से बचा जा सकता है।
पूरे साल डिजिटल अरेस्ट का आतंक रहा। ठग खुद को सीबीआई, पुलिस या कोई अन्य अधिकारी बताकर लोगों को वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट में रखने की धमकी देते रहे। इंदौर में कई मामलों में 27 से 30 लाख रुपये तक की ठगी हुई, लेकिन कुछ मामलों में बैंक खाते समय रहते फ्रीज कर रकम बचा ली गई।
क्रिप्टो ट्रेडिंग में मुनाफे का झांसा देकर ठगों ने एक कारोबारी से 55 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए। फर्जी आथेंटिकेशन लिंक के जरिए वालेट खाली कर दिया गया। क्राइम ब्रांच ने आरोपियों को गिरफ्तार कर डिजिटल सबूत जब्त किए।
दिसंबर में सामने आए इस मामले में पुलिसकर्मियों के मोबाइल और वॉट्सएप अकाउंट हैक कर आम लोगों को फर्जी ई-चालान और एपीके फाइल भेजी गईं। कई लोग ठगी से बचे, लेकिन इस घटना ने साबित किया कि ठग अब सिस्टम के भीतर तक सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
डिजिटल अरेस्ट से बची रिटायर्ड महिला प्रिंसिपल : तुकोगंज क्षेत्र की 80 वर्षीय महिला को ट्राई और सीबीआई अधिकारी बनकर कॉल किया गया। डर के मारे वे एफडी तुड़वाने बैंक पहुंचीं, लेकिन बैंक अधिकारी की सूझबूझ से क्राइम ब्रांच को सूचना दी गई। मोबाइल बंद करवाकर महिला को ठगी से बचा लिया गया।
जनवरी 70.32 लाख | फरवरी 81.95 लाख | मार्च 60.10 लाख |
अप्रैल 61.54 लाख | मई 1.73 करोड़ | जून 1.86 करोड़ |
जुलाई 1.78 करोड़ | अगस्त 1.49 करोड़ | सितंबर 1.68 करोड़ |
अक्टूबर 1.30 करोड़ | नवम्बर 1.72 करोड़
किसी भी अनजान कॉल, लिंक या एप पर भरोसा न करें और न ही ओटीपी या बैंक विवरण साझा करें। यदि कोई व्यक्ति खुद को अधिकारी बताकर डराता है या तुरंत पैसा मांगता है, तो पहले नजदीकी थाने या साइबर हेल्पलाइन से पुष्टि करें। समय पर शिकायत करने से ठगी की रकम फ्रीज कर वापस पाने की संभावना बढ़ जाती है। - राजेश दंडोतिया, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (क्राइम), इंदौर