नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। सरकारी सिस्टम आम आदमी के सब्र की किस हद तक परीक्षा लेता है इसका जीता जागता उदाहरण है 11.45 किमी लंबा BRTS। पांच माह पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जैसे ही बीआरटीएस तोड़ने की मंशा जाहिर की थी पूरा सिस्टम इसे बेकार साबित करने में जुट गया था। हाई कोर्ट ने भी साढ़े चार माह पहले इसे तोड़ने की अनुमति दे दी, बावजूद इसके अब तक कुछ नहीं हुआ। विडंबना यह है कि साढ़े चार माह बाद भी जिम्मेदार यही तय नहीं कर पाए कि बीआरटीएस में इंदौरियों को वाहन दौड़ाने की अनुमति दें या नहीं।
इस लापरवाही का खामियाजा शहर की जनता भुगत रही है। वह तो आज भी बगैर किसी शिकायत के सकरी मिक्स लाइन में गुत्थम-गुत्था होते हुए गुजर रही है। ऐसा भी नहीं कि निगम ने बीआरटीएस तोड़ने के लिए एजेंसी की तलाश नहीं की हो, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही यहां भी भारी पड़ी। निविदा में ऐसी शर्तें रखीं गई कि किसी एजेंसी ने इस काम में हाथ डालने की हिम्मत नहीं दिखाई। कोर्ट के आदेश के बाद शहर की जनता को लगने लगा था कि जल्द ही उसे बीआरटीएस के बजाय चौड़ी-चौड़ी सड़कें नजर आएंगी, लेकिन लगता है उसका यह सपना पूरा होने में अभी बहुत देर है।
नगर निगम को फरवरी 2025 में बीआरटीएस तोड़ने की अनुमति हाई कोर्ट से मिल गई थी। कोर्ट के आदेश के अगले ही दिन निगम ने सांकेतिक रूप से बीआरटीएस को तोड़ने का काम शुरू कर दिया था। इसके बाद लगने लगा था कि कुछ ही दिन में बीआरटीएस इतिहास बन जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। साढ़े चार माह बाद भी बीआरटीएस जस का तस है। दरअसल निगम को इस 11.47 किमी लंबे कारिडोर को तोड़ने के लिए कोई एजेंसी नहीं मिल रही।
निगम को उम्मीद है कि बीआरटीएस तोड़ने से उसे 3.37 करोड़ रुपये मिलेंगे। ठेका लेने वाली एजेंसी को इसके बदले में बीआरटीएस से निकलने वाली जालियां और अन्य मटेरियल ले जाने की अनुमति रहेगी, लेकिन दिक्कत यह है कि बीआरटीएस से निकलने वाले मटेरियल के बदले कोई इतनी बड़ी राशि देने को तैयार नहीं।
निगम ने निविदा की शर्तों में बदलाव कर चौथी बार निविदा जारी की है। इसमें कहा है कि जो भी एजेंसी बीआरटीएस तोड़ने का काम लेगी उससे 3.37 करोड़ रुपये की राशि एक मुश्त न लेते हुए अलग-अलग हिस्सों में ली जाएगी। एजेंसी कुछ प्रतिशत जमा कर दो किमी बीआरटीएस तोड़ेगी, मटेरियल बेचेगी और फिर अगले दो किमी तोड़ने के लिए निगम में राशि जमा कराएगी। जनकार्य समिति प्रभारी राजेंद्र राठौर के मुताबिक शर्तों में बदलाव के बाद तीन एजेंसियां ठेका लेने के लिए आगे आई हैं। सोमवार को तकनीकी निविदा खोली जाएंगी।
'यातायात शुरू करने को लेकर चर्चा करेंगे बीआरटीएस में वाहनों के प्रवेश को लेकर कई सुझाव आए हैं। बीआरटीएस को दोनों तरह से वाहनों के लिए खोलना मुश्किल है। एक सुझाव इसे एक तरफ से खोलने का भी आया है। हम इस संबंध में यातायात विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकर चर्चा करेंगे। इसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।'
- शिवम वर्मा, निगमायुक्त इंदौर नगर निगम