इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते अभी तक एमपी बोर्ड और सीबीएसई ने बारहवीं की परीक्षा नहीं करवाई है। जून में सीबीएसई 12वीं की परीक्षा को लेकर फैसला ले सकती है। उसके आधार पर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) अपने विभागों में प्रवेश के लिए होने वाली सीईटी करवाने की प्रक्रिया तय करेंगी। अधिकारियों के मुताबिक दस जून सीईटी को लेकर बैठक बुलाई जाएगी। जहां विभागाध्यक्षों से प्रवेश संबंधित विषयों पर सुझाव मांगे जाएगे। हालांकि कई विभागाध्यक्षों ने आनलाइन सीईटी करवाने पर अपनी राय दी है।
सीबीएसई ने दसवीं कक्षाओं की परीक्षाएं रद्द कर दी हैं और विद्यार्थियों का मूल्यांकन पुरानी परीक्षाओं के आधार पर करने का फैसला लिया है। अब जून के पहले सप्ताह में सीबीएसई बारहवीं की परीक्षा पर निर्णय ले सकती है। मगर इसके पहले वे कोरोना की स्थिति को लेकर समीक्षा करेंगे। यदि सीबीएसई परीक्षा करवाती है तो सितंबर तक रिजल्ट आएंगे। वहीं दसवीं की तरह सीबीएसई की पुरानी परीक्षाओं पर 12वीं के छात्र-छात्राओं का मूल्यांकन करती है तो परिणाम जुलाई तक आने की संभावना है। दोनों परिस्थितियों को भांपते हुए विश्वविद्यालय ने भी अपनी रणनीति बना रखी है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि सीबीएसई यदि परीक्षा करवाती है तो विवि मेरिट आधार पर प्रवेश दे सकता है जबकि सीबीएसई खुद ही मेरिट आधार पर विद्यार्थियों का परिणाम घोषित करता है। फिर ऐसी परिस्थिति में विश्वविद्यालय को आनलाइन सीईटी करवाना पड़ सकती है। वैसे इसके लिए एमपी आनलाइन के अलावा दो अन्य टेस्टिंग एजेंसी से बातचीत चल रही है। यही वजह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन सीबीएसई के फैसले का इंतजार कर रहा है। उसके बाद ही सीईटी को करवाना तय किया जाएगा। कुलपति डा. रेणु जैन का कहना है कि 12वीं सीबीएसई पर फैसला लेने के बाद सीईटी को लेकर रूपरेखा तय की जाएगी। वैसे विभागाध्यक्ष और प्रवेश समिति ने सीईटी आनलाइन करवाने की राय दी है।
शपथ पत्र लेंगे विद्यार्थियों से
विभागाध्यक्षों ने आनलाइन सीईटी पर जोर दिया है। इसके आधार पर विभागाध्यक्षों ने कुछ सुझाव भी बीते दिनों गूगल मीट के दौरान दिए हैं, जिसमें अगस्त में परीक्षा करवाने का कहा है। इसके लिए 12वीं के छात्र-छात्राओं से शपथ पत्र लिए जाए। उसके आधार पर विद्यार्थियों को परीक्षा की अनुमति दें। विभागाध्यक्षों के मुताबिक बिना प्रवेश परीक्षा के कोर्स में दाखिला देने से विद्यार्थियों को काफी नुकसान है, क्योंकि प्लेसमेंट के दौरान आने वाली कंपनियां प्रवेश प्रक्रिया की जानकारी लेती है। कंपनियों का ज्यादातर प्रवेश परीक्षा में चयनित विद्यार्थियों पर रहता है।